चने की खेती : बुवाई से लेकर पैदावार तक की जानकारी

जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वहां देशी चने की बुवाई 20 अक्टूबर से 15 नवंबर तक करनी चाहिए। हालांकि, सबसे उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक माना जाता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद साल 2024 में देशी चने की नई किस्म “स्वर्ण लक्ष्मी” विकसित की है।
इसकी पैदावार सामान्य चना की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत तक अधिक है। यह किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल है।
सिंचित क्षेत्र के लिए जी. एन. जी. 2171 (मीरा), जी.एन. जी. 1958 (मरुधर), . जी.एन. जी. 1581 (गणगौर), आर. वी. जी . 202, जी.एन. जी. 2144 (तीज), जी. एन. जी. 1488 (संगम) प्रमुख किस्में हैं।
सामान्यत: देशी चने की खेती में प्रति हेक्टेयर करीब 60 किलो बीज की आवश्यकता होती है। वहीं काबुली चने की खेती में 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरुरत होती है।
अगर चने की खेती सिंचिंत क्षेत्र में की जाती है तो उसे 3 से 4 बार पानी की आवश्यकता होती है।
Click To More