जौ उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण रबी फसल है। भारत में जौ की खेती राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और गुजरात में मुख्य रूप से की जाती है।
जौ का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों को बनाने में किया जाता है। हेल्दी ड्रिंक्स और दवाईयां बनाने में जौ का इस्तेमाल होता है। गेहूं की जगह जौ से बने उत्पादों का सेवन इसानों के लिए लाभकारी है।
क्षेत्रानुसार जौ की अगल-अलग किस्में खेती करने के लिए विकसित की गई है। इनमें आर डी 2052, आरडी 2035, आरडी 57, आरडी 103, बीएल 2, आरडी 2715, आरडी2794 किस्म शामिल है।
व्यावसायिक जौ की खेती के लिए दोमट मिट्टी को सबसे बेहतर मानते हैं। जौ की बुवाई के लिए सबसे पहले जैविक खाद का प्रयोग कर अच्छे से खेत तैयार करें।
जौ की बुवाई का उचित समय मध्य अक्टूबर से नवंबर तक का है। ट्रैक्टर द्वारा बुवाई में कतार से कतार की दूरी 22.5 सेमी रखें। एक हेक्टेयर में जौ की खेती के लिए 100 किग्रा बीज की आवश्यकता होगी।
हल्की एवं दोमट भूमि में जौ की फसल को 4 से 5 सिंचाई और भारी मिट्टी में 2 से 3 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय फारफोरस एवं पोटाश उर्वरकों की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा का प्रयोग करें।