खेती में मल्चिंग विधि : किसानों की कमाई करें दोगुनी
Posted - Sep 01, 2024
मल्चिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।
मल्चिंग दो प्रकार की होती है। 1 जैविक मल्चिंग 2 प्लास्टिक मल्चिंग
जैविक मल्चिंग में पौधों को ढकने के लिए फसलों की पराली, पेड़ों की पत्तियां, घास की कतरन इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग के नाम से भी जाना जाता है।
प्लास्टिक मल्चिंग यह पॉलिथीन से बनाई जाती है और इसको आप आसपास के बाजार से खरीद सकते है।
मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल उन सभी खेती में किया जा सकता है, जिसमें फसल की बुवाई जमीन पर दूर-दूर की जाती है। गन्ना, धान, सरसों, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि फसलों में मल्चिंग का उपयोग नहीं होता है।
खेत में मल्चिंग बिछाने पर कम सिंचाई करनी पड़ती है। खरपतवार निकलवाने का खर्च बचता है। कीटनाशक पर कम खर्च होता है। परिणाम स्वरूप कम लागत में अच्छी पैदावार से किसानों की कमाई दोगुनी तक हो जाती है।