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ट्रैक्टर और कंस्ट्रक्शन उपकरणों में डीजल का विकल्प होगा आइसोब्यूटानॉल फ्यूल

ट्रैक्टर और कंस्ट्रक्शन उपकरणों में डीजल का विकल्प होगा आइसोब्यूटानॉल फ्यूल
पोस्ट -23 जून 2025 शेयर पोस्ट

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आइसोब्यूटानॉल पर जोर दिया, ट्रैक्टर-हार्वेस्टर में होंगे बदलाव

Road Transport and Highways Minister Nitin Gadkari : प्रदूषण फैलाने वाले पारंपरिक जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल) के स्थान पर स्वच्छ ईंधन विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन, इथेनॉल और बायोमास जैसे स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन शमिल है। इनको अपनाने से न केवल पयार्वरण प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि यह स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक परिवहन ईंधन जहां गंभीर बीमारियों और वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, वहीं कम कार्बन वाले स्वच्छ ईंधन इन समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। इसी कड़ी में अब ट्रैक्टर और कृषि उपकरण भी पारंपरिक डीजल की जगह आइसोब्यूटानॉल फ्यूल (वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन) से चलेंगे। भारत सरकार में सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आइसोब्यूटानॉल को डीजल का पर्यावरण अनुकूल विकल्प बताते हुए कहा है कि इसे ट्रैक्टर और कंस्ट्रक्शन उपकरणों में इस्तेमाल करने की दिशा में जोर दिया है। डीजल की तुलना में यह कम प्रदूषण करता है और किसानों के लिए सस्ता विकल्प भी साबित हो सकता है। सरकार इस नए ईंधन विकल्प को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में डीजल की निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। 

डीजल का पूर्ण विकल्प बन सकता है आइसोब्यूटेनॉल (Isobutanol can become a complete alternative to diesel)

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अब अपना ध्यान निर्माण उपकरण और कृषि ट्रैक्टरों पर केंद्रित कर दिया है। ये ऐसे क्षेत्रों जिन्हें भारत में स्वच्छ ईंधन (Clean Fuel) के लिए किए जा रहे प्रयासों में काफी हद तक नजर अंदाज किया गया है। लेकिन अब इन क्षेत्रों पर भी स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। मंत्री ने डीजल के सशक्त विकल्प के रूप में आइसोब्यूटेनॉल की संभावनाओं का पता लगाने के लिए उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ बैठक बुलाई है। बैठक में उन्होंने सुझाव दिया कि “इथेनॉल में से, आइसोब्यूटेनॉल तैयार किया गया है और आइसोब्यूटेनॉल को डीजल में 10 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है। भविष्य में यह पारंपरिक डीजल का पूर्ण विकल्प बन सकता है। 

डीजल की बढ़ती निर्भरता से मिलेगा छुटकारा (Will get rid of increasing dependence on diesel)

मंत्री ने कहा, आइसोब्यूटेनॉल किण्वन प्रक्रियाओं का उपयोग करके इथेनॉल से बनाया जाने वाला एक जैव ईंधन (बायोफ्यूल) है। इथेनॉल (Ethanol) की तुलना में, इसमें ऊर्जा घनत्व अधिक होता है और आइसोब्यूटेनॉल कम संक्षारक होता है, जो इसे डीजल के साथ मिश्रण के लिए उपयुक्त बनाता हैं। यह ट्रैक्टर और अन्य डीजल इंजन आधारित मशीनों के लिए अनुकूल फ्यूल विकल्प है, वह भी बिना किसी बड़े तकनीकी बदलाव के। गडकरी ने कहा कि आइसोब्यूटेनॉल का उपयोग डीजल के पूर्ण विकल्प के रूप में भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "डीजल के विकल्प के रूप में आइसोब्यूटेनॉल का उपयोग शत-प्रतिशत किया जा सकता है। मैंने उद्योग जगत से पूछा है कि क्या डीजल इंजन आइसोब्यूटेनॉल फ्यूल से चल सकते हैं? अब, उद्योग इस पर प्रयोग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में यह डीजल का सस्ता और पर्यावरण अनुकूल विकल्प बन सके। यह पहल न केवल किसानों को सस्ते ईंधन का विकल्प देगा, बल्कि इससे देश को डीजल आयात की बढ़ती निर्भरता से छुटकारा मिलेगा। यह हरित ऊर्जा की दिशा में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक होगी।

ऑफ-हाइवे क्षेत्र में स्वच्छ विकल्पों की बढ़ रही मांग (Growing demand for cleaner alternatives in the off-highway sector)

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने कहा, जैसे-जैसे ऑफ-हाइवे (राजमार्ग से हटकर) क्षेत्र में स्वच्छ विकल्पों की मांग बढ़ रही है, निर्माण उपकरण निर्माता विभिन्न ईंधन विकल्पों की खोज कर रहे हैं। जेसीबी (JCB) इंडिया ने हाइड्रोजन से चलने वाली मशीन तैयार की है, जबकि सैनी इंडिया (Saini India) और श्विंग स्टेटर (Schwing Stetter) इलेक्ट्रिक पावरट्रेन पर काम कर रहे हैं। वर्तमान में जर्मनी के जेडएफ ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियां भारत में अपने निर्माण उपकरण संचालन का विस्तार कर रहे हैं, जिसमें ईंधन-अज्ञेय (Fuel-agnostic) प्रौद्योगिकियां पर जोर दिया जा रहा है। 

देश में जीवाश्म ईंधन की खपत (Fossil fuel consumption in the country)

नितिन गडकरी ने स्वच्छ और वैकल्पिक ईंधनों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, भारत को फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल-डीजल) के आयात पर अपनी भारी निर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए ईंधन के कई विकल्पों की तलाश करनी होगी। उन्होंने कहा देश में जीवाश्म ईंधनों का आयात इतना अधिक है कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। ऐसे में, यह जरूरी हो गया है कि हमे ऐसे विकल्प तलाशने चाहिए, जो न केवल आयात को घटाएं, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा को भी प्रोत्साहित करें। भारत की कुल जीवाश्म ईंधन खपत में डीजल की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में डीजल की खपत 2% बढ़कर 91.4 मिलियन टन पहुंच चुकी है, जो अगले वर्ष 2025-26 में इसके 3% बढ़कर 94.1 मिलियन टन हो जाने की संभावना है। 

ट्रैक्टर और हार्वेस्टर में आइसोब्यूटेनॉल लाने की कोशिश (Attempts to introduce isobutanol in tractors and harvesters)

गडकरी ने कृषि क्षेत्र में वैकल्पिक ईंधन के उपयोग के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर और हार्वेस्टर भी डीजल से चलते हैं। हम ट्रैक्टर इंजन में इथेनॉल और आइसोब्यूटेनॉल लाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोग इस क्षेत्र में पहले से नवाचार करने की कोशिश कर रहे है, जिसके लिए सरकार उन्हें प्रोत्साहित भी कर रही है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर FAME और PM-eDrive जैसी प्रमुख सरकारी योजनाओं के दायरे से बाहर हैं, जबकि निर्माताओं ने इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर विकसित किए हैं और उन्हें वैश्विक बाजारों में बेच रहे हैं, उन्होंने अभी तक उन्हें भारत में लॉन्च नहीं किया है। भारतीय स्टार्टअप पहले ही इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं, जो कृषि के अलावा बायोवेस्ट मैनेजमेंट (कचरा प्रबंधन) जैसे क्षेत्रों पर काम कर रहे हैं। हालांकि व्यापक उपयोग के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है। 

बायोडीजल मिश्रण का उद्देश्य (Purpose of Biodiesel Blends)

सड़क मंत्री ने बताया कि भारत के व्यापक जैव ईंधन रोडमैप में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण शामिल है, जिसे और आगे बढ़ाने की गुंजाइश है और वर्ष 2030 तक 5 प्रतिशत बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य है। इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन और आयात को कम करना और किसानों की आय बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ईंधन का विकल्प स्थानीय संदर्भ पर निर्भर करता है। कच्चे माल की उपलब्धता और ईंधन की लागत को देश-दर-देश देखा जाना चाहिए। कुछ देशों में जीवाश्म ईंधन बहुत सस्ती दर पर उपलब्ध है। उन्हें वैकल्पिक ईंधन के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। लेकिन भारत के लिए यह एक बड़ी समस्या है। इसलिए हमे कई विकल्पों को अपनाकर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

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