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सरकार की इन 5 बड़ी योजनाओं ने लाखों किसानों की बदली किस्मत!

सरकार की इन 5 बड़ी योजनाओं ने लाखों किसानों की बदली किस्मत!
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5 सरकारी योजनाओं से किसानों की आय और आत्मनिर्भरता दोनों में हुई है वृद्धि

केंद्र सरकार की कृषि योजनाओं ने किसानों की किस्मत बदलने की दिशा में बड़ा प्रभाव दिखाया है। नई पहलें न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रही हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त भी बना रही हैं। पशुधन, डेयरी, दलहन और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़ी इन योजनाओं के माध्यम से सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। आइए जानते हैं कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से जुड़ी सरकार की विभिन्न योजनाओं ने कैसे देश के लाखों किसानों की जिंदगी बदली है? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम ‘खेती पर चर्चा’ में शामिल हुए। यहां उन्होंने देशभर के किसानों से सीधा संवाद किया। इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार की विभिन्न कृषि योजनाओं की सराहना की और कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी हमसे परिवार के सदस्य की तरह जुड़े हुए हैं।” 

किसानों ने साझा अपने अनुभव (Farmers share their experiences)

इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों से सीधे संवाद स्थापित कर कृषि क्षेत्र में हो रहे बदलावों, नई तकनीकों और नवाचारों को बढ़ावा देना था। देश के विभिन्न हिस्सों से आए सैकड़ों किसान इस आयोजन में शामिल हुए। खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनीं। उन्होंने अपने अनुभव, उपलब्धियां और खेती में अपनाई गई नई तकनीकों को प्रधानमंत्री से साझा किया। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सरकार लगातार कृषि सुधारों और किसान कल्याण योजनाओं पर काम कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि इनसे किसानों की आय और आत्मनिर्भरता, दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

इन योजनाओं से किसानों को बड़ी मदद (These schemes will provide great help to the farmers)

कार्यक्रम में किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम मत्स्य संपदा योजना और कृषि अवसंरचना निधि (AIF) जैसी योजनाओं से उन्हें काफी मदद मिली है। किसानों ने उम्मीद जताई कि सरकार आगे भी ऐसे कार्यक्रमों के जरिए सीधे बातचीत जारी रखेगी। किसानों से इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ अन्य विकल्प भी दे रही है। इसी के तहत पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसानों को अतिरिक्त आय मिल सके। उन्होंने कहा कि इससे छोटे और भूमिहीन किसानों को भी आर्थिक मजबूती मिल रही है और देशभर के किसान इन योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।

पीएम किसान योजना से आर्थिक सहायता (Financial assistance from PM Kisan Yojana)

बातचीत के दौरान एक महिला किसान ने कहा, “पीएम किसान सम्मान निधि योजना हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हर साल मिलने वाली ₹6,000 की आर्थिक राशि से हम खेती के लिए बीज खरीदते हैं और खेत की तैयारी अच्छे से कर पाते हैं।” केंद्र सरकार की यह योजना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों को लाभ पहुंचा रही है। 2019 में हुई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) के तहत, योग्य किसानों को प्रति वर्ष ₹6,000 की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में प्रदान की जाती है। यह राशि तीन किस्तों में, यानी प्रत्येक चार महीने में ₹2,000 के हिसाब से जारी की जाती है। 

कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बताया जा रहा है कि सरकार दिवाली से पहले पीएम किसान योजना 2025 की 21वीं किस्त किसानों के खाते में जारी कर सकती है। हालांकि, बाढ़ से प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसानों को 21वीं किस्त का पैसा इस बार निर्धारित समय से पहले ही दिया जा चुका है। 

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Prime Minister's Fisheries Resource Scheme)

सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन जैसे कृषि से जुड़े व्यवसायों पर जोर दे रही है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) संचालित की जा रही है। योजना का लक्ष्य मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से देश में 'नीली क्रांति' लाना है। इसे 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत ₹20,050 करोड़ के निवेश से 2020-21 में शुरू किया गया था। वित्त मंत्रालय ने इसे 2025-26 तक विस्तार देने की सहमति दी है। जुलाई 2025 तक, इस योजना में लगभग ₹21,274.16 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं।

फंडिंग पैटर्न और लाभ (Funding Pattern and Benefits)

मछुआरों को बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा मिलती है। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में छोटे किसानों को इससे अतिरिक्त आय मिल रही है। इस योजना के लिए सामान्य राज्यों में 60:40 (केंद्र:राज्य), पूर्वोत्तर/पहाड़ी राज्यों में 90:10 (केंद्र:राज्य) तथा केंद्रशासित प्रदेशों में पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है। 

इस योजना का लाभ लेने के लिए आप अपने राज्य की मत्स्य विभाग की वेबसाइट से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, या जिला मत्स्य कार्यालय / स्थानीय पंचायत / ब्लॉक स्तर के अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

कृषि अवसंरचना निधि (AIF): ₹2 करोड़ तक का ऋण (Agriculture Infrastructure Fund (AIF): Loans up to ₹2 crore)

कृषि अवसंरचना निधि (AIF) केंद्र सरकार की एक दीर्घकालिक वित्तीय सहायता योजना है। यह योजना फसल कटाई के बाद (फसलोपरांत) की अवस्था के लिए कृषि अवसंरचना (Infrastructure) निर्माण को बढ़ावा देती है। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) योजना में वर्ष 2025-26 के लिए ₹1 लाख करोड़ की निधि का प्रावधान किया गया है। 

मुख्य विशेषताएं: (Main characteristics)

  • एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) योजना के तहत किसानों को ₹2 करोड़ तक की ऋण राशि पर 3 प्रतिशत ब्याज छूट प्रदान की जाती है। 
  • 2 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणराशि के मामले, ब्याज सहायता 2 करोड़ रुपए तक सीमित होती है। 
  • ब्याज छूट का लाभ अधिकतम सात वर्षों तक की अवधि के लिए मिलता है। 
  • किसान सूक्ष्म और लघु कृषि उद्यमों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं, जैसे: कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रोसेसिंग यूनिट, पैकेजिंग इकाइयां और स्मार्ट फार्मिंग सुविधाओं का विकास।

आवेदन के लिए पात्र (Eligible to apply)

कृषि अवसंरचना निधि (AIF) योजना निम्नलिखित संस्थाएं और व्यक्तिगत किसान आवेदन के लिए पात्र हैं। 

  1. व्यक्तिगत किसान और कृषि व्यापारी।
  2. किसान उत्पादक संगठन (FPOs)
  3. प्राथमिक कृषि साख समितियां (PACS)
  4. सामुदायिक विपणन सहकारी समितियां (Co-operatives)
  5. स्वयं सहायता समूह (SHGs) और संयुक्त देयता समूह (JLGs)
  6. बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां।
  7. कृषि उद्यमी और स्टार्टअप।
  8. केंद्रीय/राज्य एजेंसियों या स्थानीय निकायों द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाएं।

आवेदन करने और योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे पहले कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) पोर्टल या वेबसाइट पर जाएं। यहां आपको ऑनलाइन आवेदन, आवश्यक दस्तावेजों की लिस्ट और विभिन्न बैंकों के साथ हुए समझौतों की जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा, आवेदन प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग या बागवानी विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें।

परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) : जैविक खेती को बढ़ावा (Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY): Promotion of organic farming)

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन किसानों के पास चार बीघा जमीन है, वे कम से कम एक बीघे में जैविक खेती से शुरुआत करें। इससे जब उन्हें अच्छे परिणाम मिलेंगे, तो वे खुद आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे।

सरकार भी देशभर में रासायनिक मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) चला रही है। यह भारत सरकार की मुख्य पहल है, जो रासायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर (समूह) आधारित दृष्टिकोण से बढ़ावा देती है। 

इस योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर ₹31,500 तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि निम्नलिखित पर खर्च की जाती है:

  • जैविक कृषि इनपुट्स: जैविक बीज, खाद (जैसे पंचगव्य, जीवामृत), बायो-पेस्टिसाइड और अन्य ऑर्गेनिक इनपुट्स खरीदना।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: किसानों को जैविक खेती की तकनीकें सिखाना।
  • प्रमाणीकरण: जैविक उत्पादों के प्रमाणन (Certification) पर होने वाला खर्च।
  • विपणन: उत्पादों की पैकेजिंग, लेबलिंग और ब्रांडिंग के लिए सहायता।

इस योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः 60:40 के अनुपात में वित्त पोषण (फंडिंग) किया जाता है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में, केंद्रीय सहायता 90:10 (केंद्र:राज्य) के अनुपात में प्रदान की जाती है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह सहायता 100% है। योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान या किसान समूह अपने राज्य के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क कर सकते हैं। क्लस्टर (समूह) बनाना इस योजना की एक अनिवार्य शर्त है।

सोलर एनर्जी से कमाई (Earning from solar energy)

पीएम मोदी के अनुसार, “खेतों की बाड़ पर जो भूमि बर्बाद जाती है, वहां सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाई जा सकती है। सरकार इस पर सब्सिडी देती है और किसान इससे उत्पादित बिजली बेचकर कमाई कर सकते हैं।” सोलर एनर्जी से किसानों को अतिरिक्त कमाई और प्रदुषण मुक्त सिंचाई साधान प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) चलाई जा रही है। यह योजना तीन मुख्य घटकों पर केंद्रित है जैसे- घटक-ए, घटक-बी और घटक-सी। पीएम कुसुम घटक-ए के तहत विकेंद्रीकृत ग्रिड-कनेक्टेड सौर ऊर्जा संयंत्रों (2 मेगावाट तक) की स्थापना हेतु प्रावधान है। इस घटक के तहत किसान अपनी बंजर भूमि पर संयंत्र लगाकर उत्पादित अतिरिक्त बिजली डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय होती है। किसान अपनी आवश्यकता (सिंचाई के लिए या घरेलू बिजली के लिए) के अनुसार इनमें से किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित पोर्टल या वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि सरकार की योजनाएं न केवल कागजों तक सीमित हैं, बल्कि जमीन पर भी बदलाव ला रही हैं। 

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