कृषि क्षेत्र में जोखिमों को कम करने और किसानों की आय को स्थिर बनाने के लिए नाबार्ड (NABARD) एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अब सिर्फ फसल ही नहीं, बल्कि पशुपालन और मत्स्य पालन को भी मौसम आधारित बीमा योजना के दायरे में शामिल किया जाएगा। अभी तक ऐसी बीमा योजनाएं केवल पारंपरिक फसल उगाने वाले किसानों के लिए ही उपलब्ध थीं, लेकिन अब नाबार्ड कृषि से जुड़े अन्य आय के स्रोतों को भी शामिल करने के लिए योजना बना रहा है। इसके लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (AICIL) के बीच चर्चा चल रही है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नाबार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मौजूदा बीमा व्यवस्था में वास्तविक नुकसान का आकलन करने में काफी समय लगता है, जिससे किसानों तक मुआवजा पहुंचने में एक से दो साल लग जाते हैं। उन्होंने कहा "इसलिए समय पर सहायता सुनिश्चित करने के लिए बीमा के कार्यान्वयन में सुधार करने की आवश्यकता है।" नई योजना का उद्देश्य इस देरी को खत्म करना है, ताकि किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके। अधिकारी का कहना है कि नाबार्ड खास तौर पर पशुपालकों और मछली पालकों के लिए नए बीमा उत्पाद भी तैयार कर रहा है। इससे देश के लाखों किसानों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, नाबार्ड मछली और झींगा पालन के लिए भी बीमा कवर लाना चाहता है। झींगा पालन, विशेषकर अमेरिकी टैरिफ के चलते आर्थिक दबाव में है। बीमा कवर इस तरह के उद्योग संकटों से राहत देने में मदद करेगा। मौजूदा समय में इन क्षेत्रों के लिए बीमा कवरेज बेहद कम है। इसके अलावा, नाबार्ड ऐसा बीमा योजना लाने पर विचार कर रहा है, जिसमें दूध उत्पादन को तापमान और आर्द्रता सूचकांक (THI) से जोड़ा जाएगा। यदि गर्मी और नमी के कारण दूध उत्पादन घटता है, तो उस आय के नुकसान की भरपाई बीमा कवर से की जाएगी।
नाबार्ड किसानों के लिए एक क्रेडिट स्कोर प्रणाली विकसित करने की योजना बना रहा है। इसके तहत ‘खेत स्कोर’ नामक एआई-आधारित टूल का उपयोग किया जाएगा, जो किसानों की ऋण-चुकाने की क्षमता का आकलन करेगा और बीमा सेवाओं को एकीकृत मंच पर जोड़ेगा। इसके अलावा, नाबार्ड किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के लिए भी बीमा उत्पाद विकसित करने पर विचार कर रहा है, ताकि सामूहिक किसानों को मौसम आधारित वित्तीय सुरक्षा मिल सके।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मौसम आधारित फसल बीमा योजनाओं के तहत खरीफ सीजन के लिए आवेदन लगातार घटे हैं। 2023 में जहां 21.85 लाख आवेदन आए थे, वहीं 2024 में यह घटकर 16.99 लाख रह गए और 2025 में अब तक केवल 11.15 लाख आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। यह गिरावट बीमा योजनाओं में किसानों की घटती रुचि या विश्वास को दर्शाती है।
नाबार्ड इस पहल के माध्यम से बीमा कवरेज का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। फसलों की खेती के अलावा अब पशुपालन और मत्स्यपालन में लगे किसानों को भी सुरक्षा बीमा देने की योजना बनाई जा रही है। इससे उन पशु एवं मछली पालक समुदायों को बहुत लाभ होगा, जिनकी आजीविका पर मौसम की मार का सीधा असर पड़ता है। इस योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, अत्यधिक तापमान, सूखा या बाढ़ जैसी परिस्थितियों में होने वाले आर्थिक नुकसान से सुरक्षा मिलेगी।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y
Dairy Business : युवाओं को कामधेनु योजना के तहत 25-33% तक सब्सिडी
किसानों को शून्य फीसदी ब्याज दर पर मिलेगा 3 लाख रुपए तक फसल ऋण
SMAM Scheme 2025: ट्रैक्टर, ड्रोन, फसल प्रबंधन यंत्रों पर 50% सब्सिडी
Mahindra Tractors Honoured for Agricultural Innovation at ISAE 59th
Mahindra Expands Farm Machinery Range with Groundnut Thresher for 4 States
रबी सीजन के लिए किसानों को सस्ती दरों पर मिलेगी DAP और NPK खाद
Electric Tractor Market Will Reach $426.67 Million by 2033 at 10.34% CAGR