सब्सिडी योजना : एक समय ऐसा था जब देश में गांवों से लेकर शहरों तक लगभग सभी प्रकार के कार्यों के लिए बैलों (सांड) का उपयोग होता था, लेकिन आज के आधुनिक मशीनरी युग ने बैलों (नंदी) की दुर्गति कर दी है। किसानों का मित्र कहे जाने वाले बैल (Bull) का वर्तमान में कोई साथी नहीं है। गांव और शहरों की सड़कों और गलियों में बैल आवारा घूम रहे हैं। इनकी हालत इतनी खराब हो गई है कि इन्हें अब न तो चारा नसीब होता है और ही पीने का पानी। लेकिन, एक बार फिर से खेतों में बैलों की वापसी होने जा रही है। क्योंकि अब सरकार किसानों को बैलों से खेती करने के लिए अनुदान देने जा रही है। राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की घोषणा के साथ ही बैलों के दिन फिरने की आस बंधी है। आधुनिक कृषि में ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग ने जहां बैलों को खेती से दूर कर दिया था। वहीं अब राज्य सरकार की योजना के अनुसार खेतों में बैलों की चहल-कदमी देखने को मिलेगी। सरकार की यह योजना राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस योजना के तहत बैलों से खेती करने वाले किसानों को 30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रति वर्ष दी जाएगी।
खेतों में समय के साथ आधुनिक मशीनों के बढ़ते उपयोग के कारण बैलों का महत्व कम होता चला गया। लेकिन अब सरकार की इस पहल से बैलों के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे पारंपरिक खेती की तरफ वापसी संभव हो सकेगी। राज्य सरकार की इस योजना से उन हजारों किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा, जो आज भी बैल की जोड़ी का उपयोग करके खेती करते हैं। यह योजना न केवल खेती की लागत में कमी करेगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरकता भी बनी रहेगी। यह न केवल कृषि उत्पादकता में सुधार करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाएगी। साथ ही गांवों में बेसहारा बैलों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
राज्य सरकार की बजट घोषणा 2025-26 के मुताबिक, राजस्थान सरकार ने बैलों से खेती करने वाले किसानों को 30 हजार रुपए प्रति जोड़ी प्रोत्साहन राशि देने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कृषि विभाग द्वारा इसके लिए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। इस योजना के लिए जल्द ही ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित कर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सरकार की इस योजना से खेती में पुराने दौर की वापसी होगी। साथ ही गोपालन को लेकर किसानों का रुझान बढ़ने की संभावना की आस जगी है। गांवों में छोटे बछड़ों को निराश्रित छोड़ दिया जाता था, लेकिन अब वे बैल बनकर उन किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं, जो पारंपरिक तरीकों से खेती करते हैं।
राज्य कृषि आयुक्त चिन्मयी गोपाल द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार, राज्य के सभी जिलों के कृषि अधिकारियों से कहा गया है कि वे गांवों में जाकर किसानों से बैलों की जानकारी निर्धारित फार्मेट में ले। वहीं किसानों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए बैलों का बीमा करवाने के साथ बैलों को ट्रेकिंग आईडी भी लगाई जाएगी, जिससे बैलों को ट्रैक करना आसान हो जाएगा। योजना की स्थिति व स्वीकृति की जानकारी किसानों को एसएमएस और ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दी जाएगी। साथ ही वे स्वीकृति आदेश या प्रमाण पत्र को स्वयं प्रिंट निकालकर प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना में आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है, ताकि आवेदन सरल और पारदर्शी हो। किसान स्वयं या फिर नजदीकी ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। किसान को राज किसान साथी पोर्टल पर जाकर आवेदन पत्र भरना होगा।
श्रीगंगानगर के कृषि विभाग के संयुक्त कृषि निदेशक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की इस योजना में लाभ लेने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक शर्तों को पूरा करना होगा। इसके तहत किसान के पास कम से कम एक जोड़ी (दो बैल) होने चाहिए। इन बेलों का उपयोग खेती कार्य में किया जा रहा हो। लघु एवं सीमांत वर्ग के किसानों को ही इस योजना में लाभ के लिए पात्र माना गया है। इसके लिए तहसीलदार से प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। बैल की जोड़ी की हालिया फोटो पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। बैलों की बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक होगा। केवल 15 माह से 12 वर्ष तक की आयु के बैल पात्र होंगे। किसानों के पास अपनी भूमि का स्वामित्व प्रमाण पत्र या फिर वनाधिकार पट्टा होना चाहिए। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में निवास करने वाले किसानों को भी वनाधिकार पट्टे के आधार पर योजना का लाभ मिलेगा। किसान को 100 रुपये के स्टाम्प पर शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसान को अपनी लघु या सीमांत श्रेणी के लिए प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना होगा। आवश्यक दस्तावेज स्कैन कर अपलोड करने होंगे और ई-प्रपत्र को सत्यापित कर जमा करना होगा। आवेदन के बाद, राज्य सरकार द्वारा उसकी स्क्रूटनी की जाएगी और 30 दिनों के भीतर स्वीकृति दी जाएगी।
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