नए वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही किसानों को बड़ा झटका लगा है, जिन किसानों को राज्य सरकार से कर्ज माफी की आस थी वह अब टूटती नजर आ रही है। राज्य सरकार ने साफ-साफ कह दिया है कि किसानों का कर्जा माफ नहीं होगा। किसान जल्दी से जल्दी अपना पुराना कर्जा जमा करा दें। सरकार ने स्पष्ट किया है कि लड़की बहन योजना और फ्री बिजली योजना से किसान परिवारों को राहत देने का काम किया गया है, फिलहाल कर्जमाफी संभव नहीं है। हालांकि राज्य सरकार ने किसानों को ब्याज माफी से कुछ राहत देने की बात कही है। आइए, ट्रैक्टर गुरु की इस खबर को विस्तार से जानें।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के कर्जमाफी का वादा किया गया था, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद सरकार अपने वादे से मुकरती दिखाई दे रही है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने साफ तौर पर कहा है कि किसानों का कर्ज माफ करना इस समय संभव नहीं है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे तय तिथि से पहले अपने फसल ऋण का भुगतान कर दें।
वित्त मंत्री अजित पवार ने बारामती तालुका के मालेगांव सहकारी चीनी कारखाने में आयोजित किसानों की बैठक में कहा, "चुनाव के दौरान कुछ लोगों ने अपने घोषणापत्र में कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन अब सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे लागू करना संभव नहीं है।"
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने 7 लाख 20 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, जिसमें 65 हजार करोड़ रुपये की बिजली माफी दी गई है। हालांकि, किसानों को बिजली बिल में छूट दी गई है, लेकिन इसका भुगतान सरकार को करना होगा। इसके अलावा, "लड़की बहन योजना" के लिए 45,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पवार ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है, साथ ही सड़क, पानी, बुनियादी ढांचे और स्कूलों के लिए भी भारी खर्च की जरूरत है।
हालांकि, सरकार ने किसानों को कुछ राहत भी दी है। पवार ने बताया कि किसानों के फसल ऋण पर 1,200 करोड़ रुपये का ब्याज सरकार ने बैंकों को हस्तांतरित कर दिया है, जिससे किसानों को ब्याज के बोझ से राहत मिली है।
कर्जमाफी के वादे से पलटी मारने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि "कर्जमाफी का वादा करके महायुति ने किसानों के वोट लिए थे, लेकिन अब सरकार कह रही है कि अगर आप ऋण चुकता नहीं करते, तो कर्ज माफी नहीं मिलेगी। यह किसानों के साथ धोखा है।"
सपकाल ने आगे कहा, "चुनाव घोषणापत्र में 10 लाख रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन अब वह सिर्फ 1,500 रुपये ही मिल रहे हैं। लाडली बहन योजना से 10 लाख बहनों के नाम काट दिए गए हैं और किसानों को कर्जमाफी नहीं दी जा रही है।"
अजित पवार ने स्पष्ट किया कि राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कर्जमाफी करना संभव नहीं है। सरकार ने पहले ही किसानों को बिजली बिलों में राहत दी है, लेकिन राज्य के अन्य वित्तीय खर्चों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इस बयान के बाद, महाराष्ट्र में कर्जमाफी की उम्मीद पर पानी फिरने के बाद किसानों और विपक्षी दलों के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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