वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान : केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जल संरक्षण के साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराने हेतु कई समर्पित प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके लिए कई सिंचाई योजनाओं की शुरुआत करके खेतों में खेत तालाब (तलाई), डिग्गी, जल हौज जैसी अन्य संरचनाओं के निर्माण के लिए किसानों को अलग-अलग अनुदान लाभ दिया जा रहा है, ताकि किसान बारिश के पानी को इकट्ठा करके, उस जल से फसलों की सिंचाई कर सके। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा फार्म पौंड और डिग्गी निर्माण पर सब्सिडी दी जा रही है, जिसके लिए प्रदेश में “वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान” शुरू किया गया है।
इस अभियान के तहत प्रदेशभर में जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार और जन जागरूकता से लेकर कई भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार और वर्षा जल संचयन के लिए खेत तलाई व डिग्गी निर्माण पर सब्सिडी दी जा रही है। प्रदेशभर में यह अभियान 5 जून से 20 जून 2025 तक चलाया जाएगा। ऐसे में किसान सोच रहे हैं कि खेती के लिए फार्म पौंड बनवाएं या डिग्गी, दोनों पर सरकारी सब्सिडी मिलती है या नहीं और दोनों अलग-अलग है या फिर एक। आइए, इस सभी सवालों के जवाब नीचे पोस्ट में जानते हैं?
दरअसल, फार्म पौंड (खेत तलाई) और डिग्गी दोनों ही सिंचाई के स्रोत है। इनमें जमा पानी का उपयोग खेत की सिंचाई के लिए किया जाता है। वर्षा जल का संचयन करने के लिए खेत तलाई और डिग्गी जैसे जल संरक्षण संरचना इकाई का निर्माण मौजूदा समय की मांग है। अगर इन सुविधाओं को व्यापक रूप से अपनाया जाए, तो जल संकट की समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार किसानों को खेत तलाई (फार्म पौंड) और डिग्गी बनाने के लिए सब्सिडी दे रही है। राज्य कृषि विभाग द्वारा संचालित इन योजनाओं का लाभ कृषक स्वयं राज किसान साथी पोर्टल पर लॉगिन कर या नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर उठा सकते हैं। आवेदक आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा किए जानें की प्राप्ति रसीद ऑनलाइन ही प्राप्त कर होगी।
राज्य कृषि विभाग के मुताबिक, खेत में खुदवाएं गए तालाब को ही फार्म पौंड या खेत तालाब (तलाई) कहते हैं। यह यह एक कृत्रिम जलाशय है, जिसे खेतों में बारिश का पानी जमा करने के लिए खुदवाया यानी निर्माण कराया जाता है। खेत तालाब में एकत्रित जल का उपयोग खेत में सिंचाई के लिए किया जाता है। खेत तलाई या फार्म पौंड एक गड्ढे के रूप में बनाया जाता है, जिसे पॉलीथिन से लाइन किया जाता है, जिससे जल का रिसाव भूमि में न हो। इसके पानी का उपयोग सिंचाई के अलावा, पशुओं के लिए पानी, मछली पालन आदि के लिए भी किया जाता है। फार्म पौंड वर्षा के जल को इकट्ठा कर जल की बर्बादी को रोका जाता है और सूखे के समय सिंचाई के लिए जल उपलब्ध सुनिश्चित रहता है। फार्म पौंड से किसानों को सिंचाई के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी करने का साधान भी मिलता है।
सरकार द्वारा राज्य में फार्म पोंड योजना शुरू की गई है, जिसके तहत किसानों को अपने खेत में न्यूनतम 400 घनमीटर क्षमता की खेत तलाई खुदवाने के लिए अनुदान देय है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमांत किसानों को इकाई लागत का 70 प्रतिशत या अधिकतम 73,500 रुपए कच्चे फार्म पौण्ड पर तथा 90 प्रतिशत या अधिकतम 1,35,000 रुपए प्लास्टिक लाइनिंग फार्म पौण्ड पर अनुदान दिया जाता है। वहीं, अन्य श्रेणी के किसानों को लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 63,000 रुपए कच्चे फार्म पौण्ड पर 80 प्रतिशत या 1,20,000 रुपए प्लास्टिक लाइनिंग फार्म पौंड के लिए अनुदान दिया जाता है। खेत तलाई पर देय अनुदान लाभ के लिए किसान के स्वयं के नाम न्यूनतम 0.3 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि एवं संयुक्त खातेदारी की स्थिति में एक स्थान पर न्यूनतम भूमि 0.3 हेक्टर हो।
फार्म पौंड में जहां बारिश का जल इकट्ठा किया जाता है, वहीं डिग्गी का उपयोग नहरी क्षेत्रों में जल को जमा करने के लिए किया जाता है। इसका निर्माण सीमेंट और ईंट और पत्थरों से होता है। डिग्गी एक प्रकार की पानी की इकट्ठा करने की खुली टंकी होती है, जिसमें नहर या पाइप से जल लाकर एकत्रित किया जाता है। इस जल का उपयोग किसान पशुओं के लिए पानी के साथ मछली पालन के लिए कर सकते हैं। राजस्थान जैसे कम वर्ष या सूखे वाले क्षेत्रों में फार्म पौंड और डिग्गी निर्माण सिंचाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण साधन है।
सरकार द्वारा किसानों को डिग्गी निर्माण के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें कृषक द्वारा न्यूनतम 4 लाख लीटर भराव क्षमता एवं इससे अधिक क्षमता की पक्की डिग्गी अथवा प्लास्टिक लाइनिंग डिग्गी के निर्माण करने पर लघु एवं सीमांत किसानों को इकाई लागत का 85 प्रतिशत या अधिकतम 3,40,000 रुपए का अनुदान जो भी कम हो दिया जाता है। वहीं, अन्य किसानों को इकाई लागत का 75 प्रतिशत अथवा अधिकतम 3 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है। डिग्गी का निर्माण कराने के लिए कृषक के पास कम से कम 0.5 (आधा) हैक्टेयर सिंचित कृषि योग्य भूमि होना आवश्यक है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के नहरी क्षेत्रों में डिग्गी का निर्माण कर सिंचाई सुविधा को बढ़ावा देना है।
आवेदन पत्र के समय आवश्यक दस्तावेज में आधार कार्ड / जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नही हो) कीआवश्यकता होती है। आवेदन के बाद कृषि विभाग द्वारा खेत तलाई और डिग्गी निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाएगी, जिसकी सूचना मोबाइल पर मैसेज अथवा कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से मिलेगी। फार्म पौंड और डिग्गी के निर्माण से पहले व बाद में विभाग द्वारा मौका निरीक्षण / सत्यापन किया जाएगा। निर्धारित मापदंड के अनुसार संरचना निर्माण करने पर अनुदान राशि सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी। सिंचाई डिग्गी पर ड्रिप/ फव्वारा सेट की स्थापना अनिवार्य है, जिसके लिए राजस्थान कृषि विभाग द्वारा पाइपलाइन, फव्वारा, ड्रिप सिंचाई योजना भी चला रखी है। इनमें आवेदन कर किसान पाइपलाइन फव्वारा सिंचाई सेट और ड्रिप प्रणाली पर भी अनुदान लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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