बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाने और राज्यों की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में पशुपालन एक अहम कड़ी बन रही है। जिसको देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें गाय-भैंस खरीदने से लेकर डेयरी स्थापना, पशु बीमा और दुग्ध उत्पादन पर पशुपालकों और किसानों को वित्तीय सहायता मिल रही है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के युवाओं और किसानों को पशुपालन से जोड़ने के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों और युवाओं को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर देश और राज्यों की अर्थव्यवस्था बढ़ाने में योगदान कर सकेंगे।
इन योजनाओं के तहत किसानों / पशुपालकों और युवाओं को दुधारू पशुओं के पालन पर सरकार की ओर से अनुदान लाभ मिलेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र के गांव बिहोली में राजकीय पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक के उद्घाटन के दौरान किसानों को सरकार द्वारा पशुपालन के लिए चलाई जा रही इन योजनाओं की जानकारी दी। पशुपालन के लिए चलाई जा रही इन योजनाओं में लाभार्थी कैसे बने इस बारे में नीचे जानते हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पशुपालन रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने का उपयुक्त साधन है। जिसको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। पशुपालन के लिए चलाई जा रही योजनाओं में गाय पालने वालों को सीधे सरकार की ओर से 30 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जा रही है, दुग्ध उत्पादकों को 5 रुपए प्रति लीटर तथा गरीब परिवारों के दुग्ध उत्पादकों को 10 रुपए प्रति लीटर की दर से सब्सिडी, डेयरी स्थापित करने पर लाभार्थियों को दुधारू पशुओं की इकाई की खरीद हेतु लिए गए बैंक ऋण पर ब्याज अनुदान तथा ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय सामूहिक पशुधन बीमा योजना’ के अन्तर्गत के लाभार्थियों के पशुओं का बीमा मुफ्त किया जा रहा है, जिससे राज्य के पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा मिल सके। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि गौ सेवा और दूध उत्पादन की परंपरा को भी मजबूती मिल रही है।
मुख्यमंत्री सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसलों में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग करने से बचें। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी सशक्त और मजबूत हो, इसके लिए हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु हरियाणा सरकार द्वारा नई योजना की शुरूआत की गई है। इसमें 400 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। सरकार इस बजट से किसानों को एक देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपए तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है, ताकि वे गो-आधारित जैविक विधियों को अपनाकर टिकाऊ कृषि की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।
दिलचस्प है कि प्राकृतिक खेती में देसी गाय का काफी महत्व होता है। प्राकृतिक खेती में देसी गाय के गोबर से बनी खाद और अन्य प्राकृतिक तरीके से बनाए गए कीटनाशी आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे उपजे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान की तरह माने जाते हैं। यह शून्य लागत वाली खेती होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन” योजना के अंतर्गत सामान्य दुध उत्पादकों को 5 रुपए प्रति लीटर और गरीब परिवारों के दूध उत्पादकों को प्रति लीटर 10 रुपए की दर से सब्सिडी दी जाती है। साथ ही, सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियों के दुग्ध उत्पादकों के 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले दसवीं के बच्चों को 2,100 रुपए व बारहवीं कक्षा के लिए 5,100 रुपए की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। समितियों के दुग्ध उत्पादकों का 10 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा करवाया जाता है। राज्य में अब तक कुल 78 बीमा दावों के लिए 4 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। हरियाणा मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना में दूध पर अनुदान राशि के लिए पशुपालकों को सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियों पर दूध बेचना अनिवार्य है।
प्रदेश सरकार द्वारा सहकारी दुग्ध समितियों का व्यापक जाल बिछा हुआ है। मौजूदा वक्त में हरियाणा में 3300 सहकारी दुग्ध समितियां है, जिनके माध्यम से दूध उत्पादकों से दूध उत्पादन की खरीद की जा रही है। साथ दूध की प्रोसेसिंग के लिए 6 मिल्क प्लांट हैं, जिनकी रोजाना दुग्ध प्रोसेसिंग क्षमता 9.45 लाख लीटर है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य के पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय सामूहिक पशुधन बीमा योजना’ लागू की गई है। इसके अन्तर्गत पशुपालक अपने बड़े पशु की दूध उत्पादन क्षमता अनुसार 100 रुपए से 300 रुपए तथा छोटे पशु जैसे-भेड़, बकरी व सूअर के लिए केवल 25 रुपए प्रति पशु के हिसाब से प्रीमियम पर बीमा ले सकते हैं। इस योजना के तहत राज्य के अनुसूचित जाति, जनजातियों के लाभार्थियों के पशुओं का बीमा मुफ्त किया जाता है। वर्ष 2014 से अब तक इस योजना के तहत 15.90 लाख पशुओं का बीमा किया जा चुका है। इस अवधि के लिए 97 करोड़ 40 लाख रुपये के कुल 24,576 बीमा दावों का निपटान किया गया। राज्य सरकार ने इस योजना में पंजीकृत दुधारू पशु की मृत्यु होने पर 1 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया है। इस योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालकों को अपने जिला के पशुपालन चिकित्सालय या पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा सरकार की वेबसाइट पर संपर्क करना होगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सैनी ने बताया कि हरियाणा में 20-50 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने पर किसानों और युवाओं को पशुओं की इकाई खरीद हेतु लिए गए बैंक ऋण पर ब्याज अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अलावा, 2, 4 तथा 10 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाइयां स्थापित करने पर किसानों को पशु की लागत पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में देसी गायों के उत्थान हेतु हरयाना, साहीवाल और बेलाही नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के पालकों को 5,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपए तक का प्रोत्साहन दिया जाता है। इस योजना के तहत अक्टूबर, 2014 से अब तक 16,921 पशुपालक लाभान्वित हुए हैं। लाभार्थियों को राज्य के विभिन्न बैंकों द्वारा अबतक 1,54,000 पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए है।
हरियाणा सरकार के मुताबिक, प्रदेश में डेयरी फॉर्म स्थापति करने लिए लाभार्थियों को लगभग 10 लाख रुपए तक का बैंक ऋण राज्य के विभिन्न बैंकों और सहकारी समितियों के माध्य से उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी अपने जिला के पशुपालन एवं डेयरी विभाग से संपर्क कर इसकी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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