Coriander and Fenugreek Cultivation : भारतीय मसालों की डिमांड दुनियाभर के देशों में तेजी से बढ़ रही है, इसको देखते हुए राज्य सरकारों द्वारा मसालों की खेती को बढ़ावा देने पर फोकस किया जा रहा है। अधिक से अधिक किसान इस प्रकार की खेती को अपनाएं, इसके लिए उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजना के तहत आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। इस कड़ी में बिहार में सुगंधित धनिया और मेथी की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा कमाई करने का सुनहरा मौका है। राज्य सरकार द्वारा अब धनिया एवं मेथी की खेती पर किसानों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। राज्य में यह योजना खासकर मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई है।
दरअसल, राज्य के कई क्षेत्रों में किसान सुगंधित मसालों की खेती करते हैं, जिसमें धनिया की खेती बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा की जाती हैं। लेकिन कई बार किसानों को खेती से भारी आर्थिक नुकसान होता है, जिसके कारण बहुत से किसान मसाले की खेती करने से कतराते हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए उद्यान विभाग बिहार सरकार मसालों की खेती पर सब्सिडी दे रही है। इसके लिए सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष (2024-25) के लिए बीज मसाले की योजना (राज्य योजना) लागू की गई थी। इस योजना के तहत सरकार धनिया और मेथी की खेती (Coriander and Fenugreek Cultivation) क्षेत्र का और भी विस्तार करने हेतु किसानों को प्रेरित कर रही है। इसके लिए उद्यान विभाग की तरफ धनिया और मेथी जैसे मसालों की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। मसालों की खेती पर अनुदान देने का सरकार का मकसद किसानों को धनिया और मेथी उगाने के लिए पैसे देकर ज्यादा कमाई करने में मदद करना है।
बीज मसाले की योजना बिहार के सभी 38 जिलों संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को खेती लागत पर 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना में लाभ लेकर किसान आधी लागत पर धनिया और मेथी की खेती कर सकते हैं और फसल उत्पादन से बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। उद्यानिकी विभाग के अनुसार, बीज मसाले योजना के तहत सामान्य श्रेणी में 78.56 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 20 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति 1.44 प्रतिशत लाभार्थि का चयन किया जाता है, जबकि प्रत्येक श्रेणी में 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाती है।
इस योजना के तहत धनिया और मेथी की खेती करने के लिए किसानों को आधुनिक तकनीकी की जानकारी दी जाएगी तथा उन्नत तरीके से उत्पादन करने हेतु खेती प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इससे किसान मेथी और धनिया का उत्पादन बड़े पैमाने पर कर सकेंगे और कम लागत पर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस योजनातंर्गत मसाले के क्षेत्र विस्तार पर अनुदान लाभ न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) तथा अधिकतम 10 एकड़ (4 हे.) के लिए मिलेगा। गैर-रैयत कृषक भी योजना में लाभ ले सकते हैं। धनिया और मेथी की खेती कम इनपुट लागत में होती है और इसने उत्पादन की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। ये दोनों मसाला वर्गीय फसल है, जो कम सिंचाई में अच्छी पैदावार देती है। इन फसलों की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। छोटे किसानों के लिए ये खेती फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि किसानों को बीज, सिंचाई उपकरण, जैविक खाद और अन्य इनपुट्स लागत पर आधा अनुदान इस योजना के तहत मिल सकता है।
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