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ढैंचा की खेती पर 1,000 रु. प्रति एकड़ नकद सहायता व 80% बीज सब्सिडी

ढैंचा की खेती पर 1,000 रु. प्रति एकड़ नकद सहायता व 80% बीज सब्सिडी
पोस्ट -19 मई 2025 शेयर पोस्ट

हरी खाद के लिए ढैंचा की खेती करें, 1,000 रु. प्रति एकड़ सहायता और 80% बीज सब्सिडी पाएं।

Cultivation of Dhaincha for green manure : रासायनिक उर्वरकों (chemical fertilizers) के अत्यधिक उपयोग से जहां फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है, वहीं यह भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान भी पहुंचा रहा है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की कमी के कारण उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है। इस चुनौती को देखते हुए सरकार द्वारा गोबर की खाद, हरी खाद और फसल अवशेष जैसे प्राकृतिक विकल्पों को बढ़ावा देकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। इन उपायों को अपनाने के लिए किसानों को सरकार की ओर से नकद प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। ऐसे में हरियाणा राज्य में अगर कोई किसान अपने खेत में हरी खाद के लिए ढैंचा की खेती (cultivation of dhaincha) करता है, तो उसे सरकार से आर्थिक सहायता मिलेगी। हालांकि यह राशि अनुदान के रूप में सीधे किसानों के डीबीटी लिंक बैंक खाते में दी जाएगी। 

राज्य सरकार का मानना है कि मिट्टी को फिर से उपजाऊ बनाने के लिए हरी खाद को बढ़ावा देना जरूरी है। हरी खाद का उपयोग करने से किसान रासायनिक खाद का उपयोग कम करेंगे और इससे खेतों की उर्वरता में भी वृद्धि होगी। इसलिए राज्य सरकार अब हरी खाद को बढ़ावा दे रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान ढैंचा की खेती कर सके। 

प्रति एकड़ कितनी मिलेगी आर्थिक सहायता? (How much financial assistance will be provided per acre?)

राज्य में हरी खाद को बढ़ावा देने व किसानों की रासायनिक खाद पर निर्भरता से मुक्त करने के उद्देश्य से हरियाणा सरकार ने एक बड़ी योजना की घोषणा की है। योजना के माध्यम से अब से जो भी किसान अपने खेतों में ढैंचा की खेती हरी खाद के लिए करेंगे, उन्हें सरकार नकद प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान राशि देगी। किसानों को यह राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में दी जाएगी। राज्य के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने इस पर जानकारी देते हुए बताया कि ढैंचा की खेती करने वाले किसानों को 1,000 रुपए प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ढैंचा एक प्राकृतिक हरी खाद है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, नमी बनाए रखने और उत्पादन लागत घटाने में सहायक है। 

किसानों को ऐसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ (This is how farmers will get the benefit of subsidy)

कृषि मंत्री ने बताया कि यह योजना पहली बार प्रदेश भर में लागू की जा रही है, जिससे हजारों-लाखों किसानों को फायदा होगा। हरियाणा सरकार ने इस योजना के तहत राज्य के 22 जिलों में चार लाख एकड़ भूमि पर फसल विविधिकरण का लक्ष्य रखा है, जिसमें ढैंचा की फसल को प्रमुखता दी जा रही है। इस योजना से पूरे राज्य भर में अनुमानित 3 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि इस योजना के तहत ढैंचा की खेती पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान अपनी ढैंचा फसल की फोटो “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर समय रहते अपलोड करना होगा, इसके बिना योजना में लाभ किसानों को देय नहीं होगा। 

क्या है ढैंचा? (What is Dhaincha?)

ढैंचा एक फलीदार फसल है, जिसकी खेती बीज और हरी खाद के उद्देश्य से की जाती है। ढैंचा के हरे पौधे की कटाई से पहले मिट्टी में जोतकर हरी खाद (जैविक खाद) तैयार की जाती है। किसान भाई खेत की उवर्रक क्षमता को बढ़ाने के लिए ढैंचा का उपयोग हरी खाद के लिए करते हैं। यह फसल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती हैं क्योंकि ये नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं और नाइट्रोजन की पूर्ति करती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मिट्टी की संरचना बेहतर होती है और लंबे समय तक उत्पादक बनी रहती है। इसके अलावा, मिट्टी में नाइट्रोजन की पूर्ति होने से यूरिया जैसी रासायनिक खाद पर किसानों की निर्भरता कम होती है। ढैंचा का पौधा 9 से 15 फीट की ऊंचाई वाला होता है तथा पौध विकास के लिए किसी खास तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। भारत में ढैंचा की खेती खरीफ के फसल के साथ की जाती है तथा कई राज्य सरकारों द्वारा इसकी खेती के लिए सब्सिडी भी प्रदान करती है । 

कैसे करें ढैंचा की खेती? (How to cultivate Dhaincha?)

ढैंचा की खेती करने के लिए खरीफ मौसम में उपयुक्त होती है। यदि इसकी की खेती हरी खाद के रूप में की जाती है, तो इसे हर प्रकार की भूमि में लगाया जा सकता है। बीज की फसल की अच्छी उपज पाने के लिए ढैंचा की खेती काली मिट्टी वाली भूमि पर करनी चाहिए। खेती के लिए भूमि का सामान्य PH मान होना चाहिए और जलभराव वाली भूमि में भी इसकी खेती आसानी से की जाती है। इसके पौधे को विकसित होने के लिए गर्मी के साथ आर्द्रता की आवश्यकता होती है, इसके साथ ही पौधे को उचित बारिश की भी आवश्यकता होती है। 

ढैंचा की बुवाई करने से पहले को इसके खेत को अच्छी तरह से जुताई करके तैयार करें। मिट्‌टी पलटने वाले हल की मदद से खेत की गहरी जुताई करने के बाद थोड़े समय तक खेत को खाली छोड़ दे। इसके बाद बुवाई से पहले 10 ट्रॉली प्रति एकड़ की दर से पुरानी सड़ी गोबर की खाद डालें और अच्छे से हैरो चलाकर अच्छे से जुताई कर मिट्टी में मिला दें।  इसके बाद रोटावेटर कृषि यंत्र की मदद से खेत का समतलीकरण करें और ड्रील मशीन का उपयोग से पंक्ति से पंक्ति  में फसल की बुवाई करें। 

बीजों को 10 cm की दूरी के आसपास बोना उपयुक्त है। ढैंचा की उन्नत किस्मों में पंजाबी ढैंचा 1, सी.एस.डी. 123, पंत ढैंचा-1, सी.एस.डी. 137,  हिसार ढैंचा-1 - हिसार ढैंचा शाकिल है, जो जल्दी पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है। इन किस्मों से औसतन प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्राप्त होता है। 

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