World Soil Day 2024 : मानव जीवन के लिए उपयोगी संसाधनों में से एक मृदा यानी मिट्टी बेहद महत्वपूर्ण संसाधन है। इसमें खाद्यान फसलों एवं अन्य जरूरी उत्पादों की कृषि करके उनके उत्पादन से मानव जीवन की प्रारंभिक आवश्यकताओं जैसे भरण पोषण की पूर्ति की जाती है। सही मायने में मृदा (मिट्टी) पंच मूल तत्व यानी पंचभूत में से एक है। इसलिए मिट्टी का स्वस्थ रहना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। जीवन में मिट्टी के महत्व के बारे में बताने और इसकी गुणवत्ता को बचाने हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष 5 दिसंबर के दिन विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। बढ़ता प्रदूषण, कृषि में कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग और अन्य कई कारकों से मृदा की उपजाऊ शक्ति बिगड़ रही है, जिससे भूमि बंजर होती जा रही है। यही कारण है कि लोगों को मिट्टी के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक हो गया है। आइए, जानते हैं कि 5 दिसंबर के ही दिन विश्व मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है, ट्रैक्टर मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में किस प्रकार उपयोगी है और सॉयल हेल्थ कार्ड से मृदा का स्वास्थ्य कैसे बेहतर बनता है?
मृदा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण कृषि यंत्र ट्रैक्टर ने अहम भूमिका निभाई है। इसलिए कहा जाता है कि ट्रैक्टर और मिट्टी स्वास्थ्य के बीच गहरा नाता है। ट्रैक्टर मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, भारत सरकार और राज्यों द्वारा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉयल हेल्थ कार्ड) प्रदान कर मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयोग और प्रयास किया जा रहा है। खेत की मिट्टी में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों को बनाए रखने एवं खेत से बेहतर पैदावार के लिए मिट्टी जांच करवाना बेहद जरूरी हो जाता है। मिट्टी जांच से पता चलता है कि भूमि में किस पोषक तत्व की मात्रा संतुलित है एवं किस पोषक तत्व की मात्रा कम या अधिक है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिट्टी गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक सूचनाएं देता है। मृदा परीक्षण भूमि में पहले से उपस्थित पोषक तत्वों का लाभ उठाते हुए फसल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उर्वरक की उचित और पर्याप्त मात्रा में खुराक का अनुप्रयोग सुनिश्चित करेगा।
इस बार विश्व मृदा दिवस 2024 (World Soil Day 2024) की थीम “मिट्टी की देखभाल, माप, निगरानी, प्रबंधन” रखी गई है। यह थीम मिट्टी यानी मृदा की विशेषताओं को समझने और खाद्य सुरक्षा के लिए स्थायी मृदा प्रबंधन सूचित निर्णय लेने में सटीक मिट्टी आंकड़े और सूचना के महत्व को रेखांकित करता है। 5 दिसंबर के दिन ही विश्व मृदा दिवस मनाने के पीछे की मुख्य वजह यह है कि अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने साल 2002 में 5 दिसंबर के दिन पहली बार विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाने की सिफारिश की थी, जिसका सपोर्ट बाद में एफएओ ने भी किया। जून 2103 में, एफएओ सम्मेलन ने सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और इसके बाद 68वीं सयुक्त राष्ट्र महासभा से औपचारिक रूप से अपनाने के लिए सिफारिश की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने वर्ष 2013 से हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मानने की ऐलान कर दिया।
दरअसल, खेत की तैयारी से लेकर फसल काटने तक के काम ट्रैक्टर से किए जाते हैं। आज देश की आधुनिक खेती ट्रैक्टर पर ही निर्भर है। फसलों की बुवाई/रोपाई के लिए पहले खेतों को अच्छे से तैयार करने की आवश्यकता होती है। किसानों द्वारा खेत को तैयार करने के लिए ट्रैक्टर के साथ आधुनिक तकनीक के कृषि यंत्र जैसे रोटावेटर, कल्टीवेटर, रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ, डिस्क हैरो आदि को अटैच कर खेतों में चलाया जाता है और मिट्टी को पलटा जाता है। इससे खरपतवार और पुरानी फसल के अवशेष मिट्टी में दब जाते है और गलकर खाद में तबदील हो जाते हैं। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है। इसके अलावा, इन यंत्रों से गहरी जुताई होने से कठोर और सख्त भूमि नरम हो जाती है, जिससे मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और पैदावार दोनों ही बढ़ जाती है। इस प्रकार ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों ने भूमि स्वास्थ्य और पैदावार को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
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