देश में सब्जियों की खेती का तेजी से विस्तार हो रहा है। कई राज्यों के किसान सब्जियों की बुवाई कर, उनके उत्पादन से नकदी कमा रहे हैं। इस बीच ककड़ी, खीरा और भिंडी की अगेती बुवाई का मौसम शुरू हो चुका है। अगर आप कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली सब्जियों की खेती से करना चाहते हैं, तो अभी ककड़ी की बुवाई शुरू कर सकते हैं। क्योंकि यह एक ऐसी सब्जी फसल है, जिससे किसान सीजन के हिसाब से अच्छी पैदावार पा सकते हैं। ककड़ी का उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। ये कुछ ककड़ी की उन्नत किस्में हैं जिन्हें उगाकर किसान भाई कम समय और लागत में बंपर उत्पादन के साथ मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए, इन किस्मों के बारे में जानते हैं।
ककड़ी की खेती किसान नकदी फसल के रूप में करते हैं। ककड़ी एक कद्दूवर्गीय फसल हैं, जो खीरे के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक उगाई जाती है। इसकी खेती कम लागत में अच्छा मुनाफा भी दे सकती है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। यह भारतीय मूल की फसल है, जिसे जायद की फसल के साथ उगाया जाता हैं। इसके फल एक फीट तक लंबे होते हैं। ककड़ी को मुख्य रूप से सलाद और सब्जी के लिए उपयोग किया जाता है। गर्मियों के मौसम में ककड़ी का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है। अभी गर्मियों का मौसम शुरू होने में वक्त है और इसकी बुवाई का वक्त भी अभी अनुकूल है। किसान इसकी खेती लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। क्योंकि जैसे ही गर्मियों का मौसम चरम पर पहुंचेगा वैसे ही बाजारों में इसकी मांग भी बढ़ती जाएगी।
कृषि अधिकारी बाराबंकी जिला की जानकारी के अनुसार, बाराबंकी जिले में किसान खीरा और ककड़ी की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। वहीं, किसान अगर इसकी खेती फरवरी के पहले सप्ताह में करना चाहते हैं, तो इसकी कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं। इन किस्मों की खेती से किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। ककड़ी की खेती फरवरी और मार्च के महीनों में लगानी चाहिए। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट भूमि अच्छी होती है। इसकी खेती में सिंचाई सप्ताह में दो बार करनी होती है। ककड़ी में दो मुख्य जातियां होती हैं- पहली हलके हरे रंग के फल वाली और दूसरी में गहरे हरे रंग के फल वाली। लोग इनमें पहली प्रजाति को ही पसंद करते हैं। इसके फलों की तुड़ाई कच्ची अवस्था में होती है और इसकी उन्नत किस्मों से लगभग 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज होती है।
ककड़ी यह किस्म काफी स्वादिष्ट और मुलायम होती है। उत्तर भारत के राज्यों में इसकी खेती की जाती है। ककड़ी की ये किस्म मध्य अवधि में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बीजों की बुवाई के करीब 75 से 80 दिन के बाद में फसल पक जाती है। किसान इसके फलों की तुड़ाई कर सकते हैं। लखनऊ अर्ली ककड़ी किस्म से प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है।
दुर्गापुरी ककड़ी किस्म के फल हल्के पीले रंग के होते हैं, जिन पर नालीनुमा धारियां होती है। ककड़ी की यह किस्म हर जगह आसानी से उगाई जा सकती है। यह बुवाई करने के करीब 80-90 दिनों बाद तैयार हो जाती है। दुर्गापुरी ककड़ी किस्म से प्रति हेक्टेयर 190 से 200 क्विंटल से अधिक का उत्पादन ले सकते हैं। इस किस्म में रोग लगने का खतरा बहुत कम रहता है।
पंजाब स्पेशल किस्म ककड़ी संकर किस्मों में लोकप्रिय है। इस किस्म को उत्तरी भारत के राज्यों के लिए अच्छा माना गया है। इसका फल हल्का पीला होता है और फल की लंबाई 1 फीट से अधिक होती है। पंजाब स्पेशल किस्म जल्दी पकने वाली होती है। इस किस्म को लगाकर किसान प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
ककड़ी की अन्य उन्नत किस्मों में प्रिया हाइब्रिड- 1, पंत संकर खीरा- 1 और हाइब्रिड- 2, जैनपुरी ककड़ी, अर्का शीतल आदि शामिल है, जिनकी खेती कर किसान भाई कम लागत में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।
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