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प्याज की कीमत में भारी गिरावट, अन्य सब्जियों के दामों में जोरदार तेजी, जानें क्या है कारण

प्याज की कीमत में भारी गिरावट, अन्य सब्जियों के दामों में जोरदार तेजी, जानें क्या है कारण
पोस्ट -29 जून 2022 शेयर पोस्ट

प्याज के दाम में गिरावट से परेशान किसानों में आक्रोश का माहोल, जानें किस भाव में किसान बेच रहे है प्याज

प्याज कटने पर आंखों में आंसू आते तो देखा है, लेकिन प्याज ने किसान की आंखें बिना कटे ही नम कर दी है। पिछले कुछ सप्ताह से प्याज की कीमतों में हुई रिकॉर्ड गिरावट ने प्याज उत्पादक किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों ने प्याज उत्पादन में जितना खर्च किया, सरकार उतना भी नहीं दे रही है। प्याज के भाव में अचानक आई गिरावट से देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादन राज्य महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक किसानों की हालत बदहाल है। प्याज की पूरी फसल बेचने के बाद भी वह लागत का आधा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों की मंडियों में प्याज के दामों में गिरावट देखने को मिल रही है। इन मंडियों में प्याज के दाम 100 रूपये प्रति क्विंटल तक के स्तर पर आ गया है। जिससे प्याज उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गई हैं। किसान सरकार से सवाल कर रहे हैं कि क्या वे प्याज की खेती करना छोड़ दें? प्याज उत्पादन किसानों का कहना है कि जब इतना कम भाव मिलेगा तो फिर कौन अपना समय और पैसा बर्बाद करेगा। इन सब के बीच पिछले कुछ दिनों में सब्ज्यिों के दामों के अलावा अन्य जरूरी सामान की कीमतों में काफी अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली है। जहां एक ओर प्याज के गिरते दामों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, तो दूसरी ओर सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी ने आम लोगों का घरेलू बजट बिगाड़ दिया हैं, तो आइए ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं। इन सब परेशानियों का आखिर कारण क्या है। 

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प्याज उत्पादक किसानों को नहीं मिल रहा उचित भाव

महाराष्ट्र  के किसानों का कहना है कि प्याज की खेती हर साल घाटे का सौदा साबित हो रही है। प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र में सबसे अधिक होता हैं। यहां करीब 15 लाख किसान परिवार प्याज की खेती पर आश्रित बताए जा रहे हैं, जो प्याज की गिरती कीमतों से सबसे अधिक प्रभावित हैं। स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 28 जून को प्रदेश की कम से कम पांच मंडियों में प्याज का न्यूनतम दाम 1 रूपये किलो यानी 100 रूपये प्रति क्विंटल रहा। लेकिन फुटकर में आपको आज भी प्याज 35 रूपये प्रति किलो के भाव से मिल रहा होगा। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन और सरकार से सीधा सवाल किया है कि कोई 15-18 रूपये प्रति किलो की औसत उत्पादन लागत लगाकर कब तक एक या दो रूपये किलो के भाव पर प्याज बेचेगा। वहीं व्यापरियों का कहना है कि उत्पादन और आवक ज्यादा होने की वजह से इतना कम दाम है।     

कहां कितने भाव में बिक रहा हैं प्याज

भारत में 2.3 करोड़ टन प्याज की पैदावार होती है। इसमें 36 फीसदी प्याज महाराष्ट्र से आता है। महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसान पिछले कुछ सप्ताह से प्याज के गिरते भाव को लेकर काफी परेशान है। महाराष्ट्र की कई मंडियों में प्याज के दाम में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश की इन मंडियों में प्याज के भाव इस प्रकार रहे हैं। सोलापुर मंडी में प्याज का न्यूनतम भाव 100 रूपये प्रति क्विंटल जबकि औसत भाव 900 रूपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि 9868 क्विंटल प्याज की आवक हुई। राहुरी मंडी में 28 जून को 24,422 क्विंटल प्याज की आवक हुई। यहां न्यूनतम दाम 100 रूपये प्रति क्विंटल और औसत रेट 900 रूपये रहा। अकोले मंडी में 2548 क्विंटल प्याज की आवक हुई। यहां पर प्याज का न्यूनतम भाव 150 रूपये और औसत भाव 1600 रूपये प्रति क्विंटल रहा। देवला मंडी में 5550 क्विंटल प्याज की आवक हुई। यहां की मंडी में प्याज का न्यूनतम भाव 100 रूपये प्रति क्विंटल जबकि औसत भाव 1100 रूपये प्रति क्विंटल रहा। नामपुर मंडी में 11590 क्विंटल प्याज आया। यहां पर प्याज की न्यूनतम मूल्य 100 रूपये प्रति क्विंटल और औसत भाव 1300 रूपये प्रति क्विंटल रहा। जामखेड मंडी में मात्र 473 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया। यहां पर प्याज का न्यूनतम मूल्य 100 रूपये प्रति क्विंटल जबकि औसत भाव 900 रूपये प्रति क्विंटल देखने को मिला।   

न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करें 

महाराष्ट्र कंद उत्पादन संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड में काम करने वाले लोगों से यह जानकारी लें कि महाराष्ट्र में रबी सीजन की प्याज की खेती में प्याज के उत्पादन में कितना खर्च आता है। उसके आधार पर सरकार प्याज उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दें। इससे किसानों को काफी राहत मिल जाएगी। या फिर सरकार सभी किसानों को प्याज स्टोरेज बनवा दे। इसके लिए सरकार किसानों को 87 हजार रूपये की जगह कम से कम 3 लाख रूपये दे। सरकार के ऐसा करने से किसानों को मजबूरी में सस्ते दाम पर प्याज नहीं बेचना पड़ेगा। प्याज के भंडारण की सहूलियत काफी कम है और ज्यादा गर्मी में ये बड़ी मात्रा में खराब होने लगता है, ऐसे में किसान प्याज को सस्ते दाम पर बेचने के लिए मजबर रहेगा।

बारिश के कारण सब्जियों की कीमत में आई तेजी  

पिछले कुछ दिनों में मानसून देश के कई क्षेत्रों में सक्रिय हो गया है। मानसून के सक्रिय होने से देश के काफी हिस्सों में बारिश का प्रभाव देखने को मिल रहा हैं।  पिछले कुछ दिनों में जरूरी सामान की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ सब्जियों के भाव में भी तेजी आई है। वहीं मुर्गीपालन की लागत में निरंतर वृद्धि से अंडे और मांस के भाव में भी तेजी देखने को मिल रहा है। अंडे का दाम 6 रूपये से बढ़कर अब 7 रूपए हो गया है। कोलकाता के बाजारों में खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में भी पिछले कुछ सप्ताह से 20 से 25 रूपये प्रति किलोग्राम बढ़ोतरी देखने में आया है। लेकिन इस बीच खाद्य तेल के भाव अपने उच्चतम स्तर से कुछ कम हुए है। इससे आम आदमी का बजट बिगड़ा है और वह अपने आप को हर तरफ से घिरा हुआ महसूस कर रहा है। 

इन सब्जियों के बढ़े भाव

बारिश के कारण हाल के समय में सब्जियों की कीमतों में भी तेजी आई है। इस बीच इन सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जीरा, धनिया और मिर्ची तक के रेट में 40-60 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है। वहीं, भिंडी का भाव 15 रूपये प्रति किलो से 25-30 रूपए प्रति किलोग्राम, लौकी का भाव 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। जबकि अन्य सब्जियों में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। रिटेल मार्केट में टमाटर 80-100 रूपए प्रति किलोग्राम के आस-पास ही है। रिटेल मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि आलू की कीमतों में भी तेजी हुई है। आलू की ज्योति किस्म 32-35 रूपए प्रति किलोग्राम के बीच बिक रहा है, तो वहीं आलू की प्रमुख किस्म, चंद्रमुखी 40 से 45 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहा है। स्थानीय रिटेल मार्केट के विक्रेता का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में बारिश से किसानों की फसल खराब हो रही है, जिस कारण सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। 

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