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शुगर फ्री आम की खेती: किसानो को मिलेगा बंपर मुनाफा, होगी लाखों रूपये की कमाई

शुगर फ्री आम की खेती: किसानो को मिलेगा बंपर मुनाफा, होगी लाखों रूपये की कमाई
पोस्ट -12 जून 2023 शेयर पोस्ट

 जाने, कैसे करें शुगर फ्री आम की खेती, कैसे मिलेगा पौधा और उपयुक्त जलवायु

आजकल किसान लगातार उपभोक्ताओं की जरूरत और बाजार की मांग के अनुसार खेती कर रहे हैं। किसान बागवानी, नकदी और उद्यानिकी फसलों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। चूंकि देश में बड़ी संख्या में डायबिटीज के मरीज हैं और अपनी बीमारी की वजह से आम जैसे स्वादिष्ट और रसीले फलों को चख नहीं पाते। आज मार्केट में शुगर फ्री चीनी, शुगर फ्री आटा आदि बहुत से उत्पाद आ गए हैं लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए अब शुगर फ्री आम की किस्में भी विकसित हो गई हैं। बिहार का एक किसान शुगर फ्री आम का उत्पादन कर काफी अच्छा मुनाफा कमा पा रहे हैं। इस आम की खास बात यह है कि यह बेहद स्वादिष्ट होने के साथ साथ शुगर के मरीजों के लिए बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं है। बिहार में शुगर फ्री आम का उत्पादन करने वाले इस किसान का नाम राम किशोर सिंह है, जो मुजफ्फरपुर के मुशहरी प्रखंड के बिंदा गांव के निवासी हैं। पिछले कई सालों से आम के ऊपर वे रिसर्च कर रहे हैं। लंबे समय की मेहनत के बाद शुगर फ्री आम की इस किस्म को विकसित किया जा सका है। लैब टेस्टिंग के बाद इस आम को शुगर फ्री आम माना गया है। राम किशोर सिंह जी के इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्हें सरकार से कई पुरस्कार भी मिले हैं।

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ट्रैक्टर गुरु के इस पोस्ट में हम शुगर आम की खेती की जानकारी, राम किशोर सिंह की सफलता की कहानी, शुगर फ्री आम की खेती करने के तरीके के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

कितनी है शुगर फ्री आम की मांग

बाजार में शुगर फ्री आम की मांग काफी ज्यादा है। लोग बड़ी संख्या में डायबिटीज के मरीज हैं और यही वजह है कि वे आम का फल नहीं खा पाते। अगर किसान शुगर फ्री आम की खेती करें और उसे शुगर फ्री आम के तौर पर ब्रांडिंग करके बेचें तो काफी अच्छा मुनाफा तैयार किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी ये एक तरह से खुशखबरी है कि किसानों के इस प्रयास के बदौलत वे इन स्वादिष्ट आमों का स्वाद ले पाएंगे। देशभर में इस शुगर फ्री आम की चर्चा हो रही है। 

डायबिटीज के मरीजों को कितना फायदा

मुजफ्फरपुर, बिहार के निवासी राम किशोर सिंह ने डायबिटीज के मरीजों को एक प्रकार से नया तोहफा दिया है। इस बीमारी के मरीज आम और मीठा खाने से अक्सर परहेज करते हैं। जिसकी वजह से अक्सर जीवन के बहुत सारे आनंद से वंचित रह जाते हैं। प्रगतिशील किसान के इस कदम से डायबिटीज मरीजों को आम खाने का अवसर तो मिलेगा ही, पोषक तत्वों से भरपूर इस आम के खाने से तरोताजा रहने में भी मदद मिलेगी। राम किशोर सिंह ने एक बातचीत में इस आम के किस्म का भी जिक्र किया है, उन्होंने बताया कि ये आम मालदा आम है, जिसकी पूरे भारत में उच्च मांग है। डायबिटीज या मधुमेह के मरीज भी अब इस स्वादिष्ट आम का लुत्फ उठा पाएंगे। सामान्य तौर पर मालदा आम में टीएसएस यानी टोटल सॉल्युबल सबस्टैंस 25 तक रहता है। लेकिन जो आम रामकिशोर जी के बाग में उगाए जाते हैं उसका टीएसएस 12 से 15 ही रहता है। इस तरह मधुमेह के मरीजों के लिए यह नुकसान दायक नहीं होगा। लैब में भी इस आम की टेस्टिंग हो चुकी है और पाया गया कि यह आम मधुमेह के मरीजों के लिए कोई नुकसान नहीं करेगा। 

मिल चुके हैं कई अवार्ड 

राम किशोर सिंह को बागवानी फसलों की खेती में काफी कौशल प्राप्त है। बागवानी के प्रति उनकी रुचि काफी ज्यादा है। यही वजह है कि वे इन फसलों के ऊपर तरह-तरह के अनुसंधान करते रहते हैं। महाराष्ट्र के जलगांव में एएसएम फाउंडेशन ने उन्हें उद्यान रत्न से सम्मानित किया है। कृषि क्षेत्र में कई और पुरस्कार अर्जित करने और क्विज प्रतियोगिताओं को जीतने के बदले भी उन्हें कई पुरस्कार दिए गए हैं। शुगर फ्री आम की खोज के बाद पूरे भारत में इन्हें प्रसिद्धि मिल पाई है।

कैसे करें शुगर फ्री आम की खेती, कैसे मिलेगा पौधा

शुगर फ्री आम की खेती को लेकर जो भी किसान इच्छुक हैं, वे आसानी से इसका उत्पादन कर सकते हैं। इसके लिए पौधों की उपलब्धता भी है। राम किशोर सिंह, मुजफ्फरपुर बिहार स्थित अपनी नर्सरी में इसकी बड़ी मात्रा में पौधों की तैयारी करते हैं। यदि कोई किसान इस शुगर फ्री आम की खेती करना चाहते हैं तो नर्सरी से पौधा ले जा सकते हैं। एक पौधे की कीमत 4000 रुपए है। 

आम की खेती के लिए उचित मिट्टी

आम की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त है। सिर्फ कंकरीली, पथरीली और क्षारीय मिट्टी में आम के पेड़ नहीं उगते हैं। बलुई दोमट मिट्टी आम की खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। पीएच मान की बात करें तो 5.5 से 7.5 तक मिट्टी का पीएच मान होना जरूरी है। इसके अलावा ध्यान रखें कि चूंकि आम की जड़ें मिट्टी के अंदर कम से कम 2 मीटर की गहराई तक जाती है। इसलिए कम से कम 2 मीटर गहरी मिट्टी वाली जगह पर ही आम की खेती करें। आम की खेती की एक और विशेषता यह है कि यह हवा को ठंडी करने में सबसे ज्यादा कारगर पेड़ है। बड़ी मात्रा में यह कार्बन डाइऑक्साइड को अब्जोर्व करता है। इससे पर्यावरण पर भी एक सकारात्मक असर रहता है।

उपयुक्त जलवायु

आम एक उष्ण जलवायु का फल है। कहा जाता है कि आम की फसल में जितनी जलवायु गर्म होती है, आम उतना ही मीठा और स्वादिष्ट होता है। हालांकि 24 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है। वहीं बारिश की बात करें तो 125 से 250 सेंटीमीटर बारिश इस फसल के लिए पर्याप्त है। अगर वर्षा कम होती है तो सिंचाई द्वारा इसकी कमी को पूरी किया जा सकता है।

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