Pod Borer Infestation : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, एक नये पश्चिमी विक्षोभ (WD) के सक्रिय होने से अगले दो-तीन दिन तक हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में अनेक स्थानों पर कोहरा, बारिश और ओलावृष्टि होने का सिलसिला जारी रहने वाला है। इससे दिन और रात के तापमान में गिरावट होगी और सर्दी जोर पकड़ेगी। वहीं, मौसम बिगड़ने से मटर की फसल खराब होने की आशंका से किसानों की चिंता बढ़ गई है।
तापमान गिरने से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों में मटर की फसल में फली भेदक कीट (Pod Borer Infestation) का प्रकोप देखा गया है। फली छेदक कीट मटर की फसल को तेजी से चौपट कर रहे हैं, जिसको लेकर किसान काफी परेशान है। यह कीट फली में छेदकर अंदर घुस जाता है और दाने को खा जाता है। ऐसे में फसल के बचाव का जरूरी उपाय नहीं करने पर पैदावार और क्वालिटी में भारी नुकसान होता है। इस कीट से बचाव के लिए कृषि एक्सपर्ट्स ने किसानों को छिड़काव के लिए जरूरी दवा की जानकारी दी है, जिसके इस्तेमाल से इस कीट से मटर फसल का बचाव किया जा सकता है।
मौसम खराब होने के कारण तापमान में गिरावट हो रही है, जिससे सर्दी बढ़ने लगी है। गिरते तापमान से उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों के किसान मटर की फसल में फली भेदक कीट के प्रकोप से परेशान हैं। फली छेदक कीट मटर की फलियों पर छेदकर दाने को खा जाता है। इससे किसानों को उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ता है और क्वालिटी भी प्रभावित होती है। इस फली भेदक कीट के नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की तरफ से किसानों को दवाओं के नाम व उनके छिड़काव का तरीका भी बताया गया है।
कृषि विभाग के अनुसार, फली भेदक कीट की पहचान फलियों पर आधे बाहर लटके शरीर के साथ भली भांति की जा सकती है। फसल में कीट का विकास चरण कई महीनों तक बना रहता है। इसमें अंडे से लेकर पूर्ण विकसित वयस्क तक कीट का संपूर्ण विकास होता है। मौसम की स्थिति के अनुसार, यह कीट 4-20 दिन के अंतराल में अंडे से लार्वा में विकास कर लेता है। लार्वा 1.5 से 2.2 सेंमी तक हरे से स्लेटी कलर का होता है। इसके शरीर पर हल्का लाल रंग भी देखने को मिलता है। मौसम की स्थिति के मुताबिक, लार्वा का जीवनकाल 19 से 40 दिन के मध्य होता है। इसके बाद वह प्यूपा में परिवर्तित हो जाते हैं। इस कीट और अर्द्धकुंडलीकार कीट के नियंत्रण के लिए दवा बैसिलस थुरिनजीएसीन्स (बीटी) की कस्टकी प्रजाति 1 किलो ग्राम, दवा एजाडीरेक्टिन 0.03% WSP 2.50 से 3 किलो ग्राम, दवा एनपीवी (एच) 2% एएस जैविक और रासायनिक कीटनाशकों में से किसी एक का छिड़काव प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर कर सकते हैं। इन दवाओं के छिड़काव के पश्चात किसानों को फली भेदक कीट के प्रकोप से राहत मिलेगी।
कृषि विभाग के अनुसार, फली छेदक कीट के नियंत्रण के लिए नीम के तेल का छिड़काव अथवा नीम के अर्क का छिड़काव एक कारगर उपाय है। इसके अलावा आप 150-200 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस मिलाकर छिड़काव करने पर भी कीट पर नियंत्रण संभव है। बता दें कि केंद्र सरकार दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, जिसके इस रबी सीजन में दलहन फसलों का उत्पादन पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ने की उम्मीद है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 16 दिसंबर तक देशभर में करीब 123.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न दाल फसलों की बुवाई की जा चुकी है। इसमें 8.50 लाख हेक्टेयर में मटर की खेती शामिल है। बुवाई अभी भी जारी है, इसलिए यह आंकड़ा और भी बढ़ने की उम्मीद है।
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