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45 साल बाद फिर शुरू होगी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना

45 साल बाद फिर शुरू होगी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना
पोस्ट -14 मई 2025 शेयर पोस्ट

पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को मिली मंजूरी, अब किसानों को मिलेगा स्थायी पानी का लाभ

Peeparchhedi Irrigation Project : छत्तीसएगढ के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। गरियाबंद जिले के मड़ेली में 45 साल से अधूरी पड़ी “पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना” को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल एक अधूरे वादे की पूर्णता है, बल्कि क्षेत्र के हजारों किसानों के सपनों की भी पुनर्स्थापना है। इससे न केवल कृषि व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि हजारों किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाएगी। 

सिंचाई सुविधा मिलने की जागी उम्मीद (There is hope of getting irrigation facility)

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, इस परियोजना से 10 से अधिक गांवों के करीब 5,000 किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद जगी है। इस से क्षेत्र में कृषि उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावना है। पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना की शुरुआत लगभग चार दशक पहले हुई थी, लेकिन तकनीकी अड़चनों और प्रशासनिक विलंब के कारण यह अधूरी रह गई थी। लेकिन अब राज्य सरकार और सिंचाई विभाग के संयुक्त प्रयास से इस परियोजना को फिर से शुरू किया जा रहा है।

क्या है पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना? (What is Peeparchhedi Irrigation Project?)

पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना 1977 में  घुनघुट्टी नाला पर बांध बनाकर प्रारंभ की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य आस-पास के क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था। लेकिन 1980 में वन अधिनियम लागू होने के कारण वन एवं पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने से कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद की कई सरकारों ने इस ओर गंभीर पहल नहीं की, और किसानों की आशाएं धीरे-धीरे धुंधली होती गईं। जिस कारण स्थानीय किसानों को सिंचाई के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 

केंद्र सरकार ने परियोजना को दिया जीवनदान (The central government gave life to the project)

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मुद्दे को प्राथमिकता में लिया। हाल ही में केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति देकर वर्षों से अधूरी पड़ी इस परियोजना को जीवनदान दिया। इसके बाद, मुख्यमंत्री ने सुशासन तिहार समाधान शिविर में इस बहुप्रतीक्षित स्वीकृति की घोषणा की, जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह ने खुशी की लहर दौड़ गई। हालांकि, इस परियोजना को समय पर पूरा करना और इसके लाभ को सभी जरूरतमंद किसानों तक पहुंचाना अभी भी एक चुनौती है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि सीएम की यह घोषणा कागजी न रहकर वास्तविक कार्रवाई में तब्दील होगी ओर उनके खेतों तक पानी पहुंचाएगी।

फसल उत्पादन में होगा सुधार (There will be improvement in crop production)

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि किसानों के संघर्ष, प्रतीक्षा और उम्मीद की जीत है। यह सुशासन तिहार का असली अर्थ है- लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना। इस परियोजना से न केवल क्षेत्र के किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा मिलेगी, बल्कि फसल उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति में भी व्यापक सुधार होगा, जिससे क्षेत्र में समग्र विकास की नई धारा बहने की संभावना है। स्थानीय किसानों का कहना है कि इस परियोजना के रुकने से उनकी खेती बारिश पर निर्भर थी, लेकिन अब इससे पूरा करने की घोषणा से उम्मीद है कि उन्हें नियमित पानी मिलेगा। यह सिंचाई परियोजना क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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