खरीफ फसलों की कटाई चल रही है। विभिन्न राज्यों में किसान धान सहित अलग-अलग खरीफ फसलों की कटाई में जुटे हुए हैं। हर साल की तरह, इस बार भी कृषि मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। धान की कटाई श्रम-सघन और समय लेने वाला कार्य है। मैनुअल (हाथ से संचालित) कृषि उपकरण जैसे हंसिया या दराती से खेतों में कटाई करने में अधिक मेहनत और समय लगता है और मजदूरी का खर्च भी बढ़ जाता है। लेकिन खरीफ फसल कटाई सीजन 2025 में आधुनिक स्मार्ट कृषि मशीनें किसानों को राहत दे रही हैं। इन मशीनों की मदद से धान की कटाई अब पहले से कहीं अधिक आसान, तेज और किफायती हो गई है। इससे न केवल श्रम लागत कम होती है, बल्कि उपज की बर्बादी भी घटती है, जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ता है। खास बात यह है कि सरकार भी किसानों को इन मशीनों की खरीद पर भारी सब्सिडी दे रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान इनका लाभ उठा सकें।
धान फसल की कटाई कार्य को सुचारू रूप से करने के लिए आज कई प्रकार की आधुनिक फसल कटाई (Harvesting) मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इनमें रीपर मशीनें, कंबाइन हार्वेस्टर और मिनी हार्वेस्टर (वॉक-बिहाइंड हार्वेस्टर) शामिल हैं। पारंपरिक कटाई की तुलना में ये स्मार्ट मशीनें महीनों तक चलने वाले कटाई कार्य को कुछ ही घंटों में पूरा कर देती हैं। इसके अलावा, समय पर फसल की कटाई होने से उपज की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलता है और उनके मुनाफे में वृद्धि होती है। आज कृषि बाजारों में ट्रैक्टर बैक-माउंटेड रीपर-बाइंडर मशीन, ट्रैक्टर फ्रंट-माउंटेड रीपर-बाइंडर मशीन, ट्रैक्टर से चलने वाली वर्टिकल कन्वेयर रीपर मशीन, स्वचालित रीपर-बाइंडर तथा स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर (वॉक-बिहाइंड टाइप) जैसी आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं।
आज छोटे से लेकर बड़े किसान तक फसल कटाई के लिए रीपर मशीनों का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं। ये मशीनें अपनी दक्षता और किफायती संचालन के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। रीपर मशीनें गेहूं, धान, जौ, जई, रागी सहित अन्य ऐसी फसलों की कटाई करने में सक्षम हैं, जिनकी ऊंचाई लगभग 2 फीट से 4.5 फीट तक होती है। यह मशीनें फसलों की कटाई जमीन से केवल 3 से 5 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर करती हैं, जिससे खेत में बर्बादी कम होती है और कटाई की गुणवत्ता बेहतर रहती है। रीपर मशीन की सहायता से प्रति घंटे लगभग एक एकड़ तक फसल की कटाई की जा सकती है। इसे एक व्यक्ति द्वारा आसानी से संचालित किया जा सकता है और यह कम समय में बड़े क्षेत्र की कटाई पूरी कर देती है।
हरियाणा और पंजाब जैसे धान उत्पादक बड़े राज्यों में धान की कटाई के लिए अब कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। इस आधुनिक मशीन की मदद से कटाई, दाने निकालना (थ्रेशिंग) और अनाज की सफाई (क्लीनिंग) जैसे तीनों कार्य एक साथ पूरे हो जाते हैं। इससे किसानों को फसल कटाई के बाद अनाज निकालने या भंडारण के लिए अतिरिक्त श्रम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। छोटे और मध्यम भूमि जोत वाले किसानों के लिए मिनी हार्वेस्टर या वॉक-बिहाइंड हार्वेस्टर एक बेहतरीन विकल्प है। यह मशीन हल्की, ईंधन-किफायती और छोटे खेतों में आसानी से काम करने वाली हार्वेस्टिंग मशीन है।
आज बाजार में विभिन्न कंपनियों के कई कंबाइन हार्वेस्टर उचित कीमत पर किसानों के लिए उपलब्ध हैं। हाल ही में भारत के अग्रणी इंजीनियरिंग समूहों में से एक एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड (EKL) ने धान कटाई के लिए कुबोटा ‘Pro588i-G’ कंबाइन हार्वेस्टर पेश किया है। यह हार्वेस्टर जापान की उन्नत तकनीक से निर्मित है, जो धान की फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों (पराली) को खेत में ही प्रबंधित करने में सक्षम है। इससे किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती और पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आती है। यह हार्वेस्टर धान की फसल को जड़ के पास से काटता है, जबकि सामान्य फुल-फीड हार्वेस्टर ऐसा नहीं कर पाते हैं। इससे पूरा भूसा (लंबा स्ट्रॉ) सुरक्षित रहता है और पूरी लंबाई का पुआल इकट्ठा किया जा सकता है। किसान इस पुआल का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में या बायोमास प्लांटों में कर सकते हैं।
बाजार में रीपर मशीनों की कीमत सामान्यतः ₹60 हजार से लेकर ₹5 लाख या उससे अधिक तक हो सकती है। इन मशीनों के कई प्रकार उपलब्ध हैं, जिनमें रीपर-बाइंडर मशीन (फसल काटकर बंडल बनाने वाली), पावर रीपर (सेल्फ-प्रोपेल्ड/कम पावर क्षमता वाली), ट्रैक्टर माउंटेड रीपर (ट्रैक्टर पर लगने वाला अटैचमेंट), मिनी पावर रीपर और स्ट्रॉ रीपर शामिल हैं ।
राज्य सरकारें कृषि यंत्रीकरण उप मिशन (SMAM) योजना के तहत इन रीपर मशीनों पर सब्सिडी प्रदान करती हैं। यह सब्सिडी राज्यवार अलग-अलग होती है और सामान्यतः 40% से 50% तक दी जाती है।
बिहार राज्य में वर्ष 2025-26 के लिए SMAM कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत, व्यक्तिगत किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्रों की खरीद के लिए आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान कृषि विभाग के ऑनलाइन “फार्म मैकेनाइजेशन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर” पर आवेदन कर अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार की ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत किसान हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, श्रेडर/मल्चर, बेलर, हे रेक/स्ट्रॉ रेक और स्लेशर जैसे यंत्रों पर आवेदन कर सकते हैं।
कृषि यंत्रों पर लागू योजनाओं और उपलब्ध अनुदान की जानकारी के लिए किसान अपने राज्य के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने जिले के कृषि विभाग कार्यालय में जाकर सहायक कृषि यंत्री (Assistant Agriculture Engineer) से संपर्क कर सकते हैं।
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