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IARI की सलाह: रबी फसलों में इन गलतियों से बचें, जानें मौसम का हाल

IARI की सलाह: रबी फसलों में इन गलतियों से बचें, जानें मौसम का हाल
पोस्ट -05 फ़रवरी 2025 शेयर पोस्ट

किसानों को IARI की चेतावनी, फसलों में यह गलती न करें!, जानें कैसा रहेगा मौसम का मिजाज

IARI Alert : पश्चिमी विक्षोभ के चलते देश में एक बार फिर से मौसम बदल गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपनी पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा है कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के चलते देश के पहाड़ी और मैदानी इलाकों का मौसम प्रभावित हुआ है। अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में गरज और बिजली के साथ छिटपुट से लेकर मध्यम वर्षा/बर्फबारी की संभावना है। उत्तर-पश्चिम भारत के आसपास के मैदानी इलाकों में भी हल्की बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग की माने तो पश्चिमी अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में निचले और मध्य क्षोभमंडल स्तरों पर एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में एक नया पश्चिमी विक्षोभ देखा जा रहा है, जिससे 08 फरवरी, 2025 से उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करने की संभावना है। इसके चलते मौसम का मिजाज बदलेगा और 08 व 09 फरवरी के बीच पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में छिटपुट हल्की बारिश/बर्फबारी की गतिविधि की संभावना है। इन सबके बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली ने मौसम आधारित कृषि परामर्श जारी किया है। IARI की यह चेतावनी किसानों को रबी फसलों की देखभाल एवं खेती के कार्यों को मौसम के अनुकूल तरीके से संचालित करने में मददगर साबित हो सकेगी। आइए, जानते हैं मुख्य परामर्श और आगामी दिनों में मौसम का मिजाज कैसा रहने वाला है।

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आईएआरआई (IARI) के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी कृषि चेतावनी (Agricultural warning issued by agricultural scientists of IARI)

आईएआरआई (IARI) के कृषि वैज्ञानिकों ने आगामी दिनों में गरज और बिजली के साथ छिटपुट से लेकर मध्यम वर्षा/बर्फबारी की संभावना को देखते हुए खेतों में सभी खड़ी फसलों में उचित प्रबंधन करने की सलाह किसानों को दी है। खासतौर पर सिंचाई और छिड़काव से पहले मौसम की स्थिति पर फोकस करने के लिए कहा है।  
IARI ने सिफारिश की है कि गेहूं की फसल में देखभाल और कीट नियंत्रण करें। अगर गेहूं की फसल में दीमक का प्रकोप नजर आए, तो बिना देर किए किसान क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 लीटर प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में शाम के वक्त छिड़काव करें।

रतुआ रोग पर रखें विशेष ध्यान (Pay special attention to rust disease)

इसके अलावा, फसल में रोगों की निगरानी करें, विशेषकर रतुआ का ध्यान रखें। पीला रतुआ 10 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फैलता है और भूरा रतुआ 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के साथ नम जलवायु में अधिक सक्रिय होता है। वहीं, काला रतुआ 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान एवं शुष्क जलवायु में फैलता है। अगर रतुआ का संक्रमण दिखाई दें, तो डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव फसल पर करें। आईएमडी की माने तो अगले 2 दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में लगभग 2-3 डिग्री सेल्सियस की क्रमिक वृद्धि और उसके बाद के 3 दिनों के दौरान 2-3 डिग्री सेल्सियस की क्रमिक गिरावट की संभावना है, जबकि अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन होने की संभावना नहीं है और उसके बाद के 3 दिनों के दौरान 2-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट की संभावना है। वहीं, मध्य भारत में अगले 2 दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन होने की संभावना नहीं है, उसके बाद 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट की संभावना है।

चना की फसल में कीट प्रबंधन अगेती भिंडी की बुवाई करें? (Pest management in gram crop: Sow ladyfinger early?)

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि चना की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप लगने की पूर्ण संभावना है। इसलिए किसान चना की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करें, इस कीट के नियंत्रण के लिए 3 से 4 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं, जहां पौधों में 40 से 45 प्रतिशत फूल खिल चुके हों। पक्षियों द्वारा कीट नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए “टी” आकार के पक्षी बसेरे खेत में विभिन्न स्थानों पर लगाएं। वहीं, जो भिंडी की अगेती बुवाई करना चाहते हैं, वे बुवाई शुरू कर सकते हैं। मौसम और तापमान बुवाई के लिए अनुकूल है। ऐसे में भिंडी की अगेती बुवाई की जा सकती है। इसके लिए किसान ए-4, परभनी क्रांति और अर्का अनामिका जैसी उन्नत भिंडी किस्मों का चयन करें। खेत में पलेवा करके देसी खाद डालकर तैयार करें। बुवाई के लिए बीज की मात्रा 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें।

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दें (promote beekeeping)

रबी फसलों और सब्जियों में मधुमक्खियों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए किसानों को खेतों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना चाहिए और दवाइयों का छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करना चाहिए। इससे परागणकर्ता कीटों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर और बैंगन की पौध को नर्सरी में तैयार करें और तैयार पौधों की रोपाई करें। बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणित स्रोत से ही करें। मौसम की स्थिति अनुसार, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग की नियमित निगरानी करें और रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर केप्टान @ 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। किसान पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा) और मेथी (पी.ई.बी, एच एम-1) की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के विकास के लिए 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें।

मटर, टमाटर और गोभीवर्गीय में कीट नियंत्रण (Pest control in peas, tomatoes and cabbages)

किसानों को सलाह है कि गोभीवर्गीय फसलों में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु 3 के 4 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। गाजर, मूली, चुकंदर और शलजम की फसल की निराई-गुड़ाई करें और चेपा कीट की निगरानी रखें। मटर की फसल में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए 3 से 4 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं। अगर कीटों की संख्या ज्यादा हो, तो बीटी जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें।

अगले 24 घंटों का मौसम पूर्वानुमान (Weather forecast for next 24 hours)

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग विभाग (IMD) की रिपोर्ट मुताबिक, अगले 24 घंटों के दौरान देश के कई इलाकों में सुबह के समय धुंध तथा आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। वहीं, कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है। अधिकतम तापमान 19- 26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10-13 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की अनुमान है। हवा की गति 5 से 12 किमी/घंटा रहने की संभावना है और दिशा उत्तर, पश्चिम-उत्तर-पश्चिम और पूर्व-उत्तर-पूर्व हो सकती है। किसानों से अपील है कि वे फसल सुरक्षा एवं सिंचाई से संबंधित कार्यों को मौसम के अनुसार ही करें, जिससे अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।

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