इस बार खरीफ फसलों की पैदावार अच्छी रहने की उम्मीद है, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ ने कई राज्यों के किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। मौसम की इस मार से महाराष्ट्र भी अछूता नहीं रहा। इस साल राज्य में हुई भारी बारिश से खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। बारिश की वजह से राज्य के 29 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में फसल, पशुधन, गौशालाओं, दुकानों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। इसी को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाढ़ और बारिश से प्रभावित किसानों के लिए 31 हजार करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज घोषित किया है। सरकार का लक्ष्य है कि दिवाली से पहले सभी प्रभावित किसानों के खातों में मुआवजा राशि पहुंच जाए, ताकि त्योहार से पहले उन्हें वित्तीय सहायता मिल सके।
सीएम फडणवीस ने कैबिनेट बैठक के बाद मंत्रालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों को दिए जाने वाले राहत पैकेज की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के 29 जिले बारिश से हुए नुकसान की मार झेल रहे हैं। सरकार ने इसके लिए ₹31,628 करोड़ के भारी राहत पैकेज का ऐलान किया है। यह राहत पैकेज बाढ़ प्रभावित 253 तालुकाओं और 2059 मंडलों में किसानों को कवर करेगा। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार समय आने पर ऋण माफी की घोषणा भी करेगी। फिलहाल सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित और नुकसानग्रस्त किसानों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने के उद्देश्य से यह राहत पैकेज घोषित किया है। इस राहत पैकेज में फसल नुकसान, मिट्टी के कटाव, घायलों के उपचार, निकट परिजन के लिए अनुग्रह राशि, घरों, दुकानों और पशुओं को हुए नुकसान आदि के लिए मुआवजा शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि एनडीआरएफ (NDRF) के नियमों के तहत केवल तीन पशुओं तक ही मुआवज़ा दिया जाता था, लेकिन राज्य सरकार ने किसानों के हरेक मृत पशु को राहत पैकेज में कवर करने का निर्णय लिया है।
सीएम ने कहा कि राज्य में 1 करोड़ 43 लाख 52 हजार 281 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें लगाई गई थीं, जिसमें से 68 लाख 67 हजार 756 हेक्टेयर क्षेत्र में भारी बारिश की वजह से नुकसान हुआ है। इससे लगभग 60 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। सरकार बाढ़ प्रभावित इन किसानों को तत्काल मुआवजा देने जा रही है। उन्होंने बताया कि फसल नुकसान के लिए 6 हजार 175 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। रबी फसलों के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 10 हजार रुपये अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। इसके लिए 6 हजार 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी। साथ ही हर किसान को लगभग 17 हजार रुपये की फसल बीमा राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने फसल और भूमि के प्रकार के अनुसार मुआवजा तय किया है। शुष्क भूमि पर खेती करने वाले किसानों को 18,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, मौसमी सिंचाई वाली भूमि के लिए 27,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित भूमि के लिए 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाएगी। जिन किसानों की जमीन बाढ़ में बह गई है या अब खेती योग्य नहीं रही, उन्हें 47 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की सीधी मदद दी जाएगी। इसके अलावा, मनरेगा योजना के तहत उन्हें 3 लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी ताकि वे अपनी जमीन को फिर से खेती योग्य बना सकें। एक विशेष प्रावधान के रूप में, प्रभावित कुओं के लिए 30 हजार रुपए प्रति कुआं दिया जाएगा। वहीं, मछली पालन और नावों से जुड़े नुकसान के लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रावधान भी किया है।
बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए सरकार ने कई राहत उपायों की घोषणा की है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत क्षतिग्रस्त मकानों की जगह नए मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। वहीं, पहाड़ी इलाकों में मकान बनाने वालों को 10 हजार रुपए अतिरिक्त मदद दी जाएगी। क्षतिग्रस्त दुकानों के लिए 50,000 रुपए, मरे हुए पशुओं के लिए 37,500 रुपए प्रति पशु और मुर्गियों के लिए 100 रुपए प्रति मुर्गी का मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि किसानों को सहायता देते समय एग्रीस्टैक में उपलब्ध जानकारी का उपयोग किया जाएगा, इसलिए किसानों को कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए 10,000 करोड़ रुपए और बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला योजना निधि का 5 प्रतिशत, यानी 1,500 करोड़ रुपए आरक्षित किए हैं। इसके अलावा, अभावग्रस्त क्षेत्रों में लागू सभी रियायतें यहां भी लागू होंगी। साथ ही, कृषि पंपों के बिजली बिल पहले ही माफ कर दिए गए हैं, इसलिए किसानों से बिजली बिल की वसूली नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस अभूतपूर्व संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री राहत कोष से बड़े पैमाने पर सहायता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कई संस्थानों और व्यक्तियों ने सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के माध्यम से भी मदद देने पर सहमति व्यक्त की है। जिन मामलों में सहायता नियमों के अंतर्गत नहीं आती, वहां भी मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की मानसिक पीड़ा और आर्थिक नुकसान की पूरी भरपाई संभव नहीं है, लेकिन सरकार का दायित्व है कि वह हर किसान के साथ मजबूती से खड़ी रहे। उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों को एफआरपी के माध्यम से सहायता देने का निर्णय लिया है, लेकिन कुछ चीनी मिल मालिक इसमें विरोध कर रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि हमारे किसान आपदा की मार झेल रहे हैं, ऐसे में इसका राजनीतिकरण करना अनुचित है। सरकार किसानों के हित में जल्द ही ठोस निर्णय लेगी।
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