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100 रुपए में सफेद चंदन की खेती से किसान बनेंगे कुछ सालों में करोड़पति

100 रुपए में सफेद चंदन की खेती से किसान बनेंगे कुछ सालों में करोड़पति
पोस्ट -16 मई 2025 शेयर पोस्ट

100 रुपए में किसान बनेंगे करोड़पति, सफेद चंदन की खेती के लिए केंद्र से बजट स्वीकृत

White Sandalwood Cultivation : किसान केवल 100 रुपए प्रति पौधे के निवेश से करोड़पति बनने का सपना साकार कर सकते हैं। दरअसल, सफेद चंदन एक अत्यधिक मूल्यवान सुगंधित लकड़ी है, जिसका उपयोग इत्र, आयुर्वेदिक दवाइयों, पूजा सामग्री और कॉस्मेटिक उत्पादों के निर्माण में होता है। देश और विदेशों में इसकी मांग काफी अधिक है, जिससे यह खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक बनती जा रही है। हालांकि, चंदन की खेती (Sandalwood farming) की ओर लोगों का रुझान तो हुआ है, लेकिन तकनीक की भारी कमी और पैदावार में लगने वाले लंबे समय के कारण अपेक्षित रूप से इसकी खेती को गति नहीं मिल पा रही है। लेकिन, अब चंदन की खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सफेद चंदन (White Sandalwood) की खेती को बढ़ावा देने के लिए 27 लाख रुपए तक का बजट स्वीकृत किया है। सरकार का यह कदम किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर प्रेरित करेगा।

इन क्षेत्रों में सफेद चंदन की खेती को बढ़ावा (Promotion of white sandalwood cultivation in these areas)

वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और प्रयागराज को सफेद चंदन की खेती का केंद्र बनाने के उद्देश्य से एक परियोजना की शुरुआत होने जा रही है, जिसके तहत केंद्र सरकार ने एक साल के लिए 27 लाख रुपए का बजट मंजूर किया है। अनुसंधान केंद्र का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश के जालौन, गोरखपुर, देवरिया और चित्रकूट जैसे कुछ जनपदों में छोटे स्तर पर  किसान सफेद चंदन खेती कर रहे हैं, लेकिन, इन क्षेत्रों में अब सफेद चंदन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। चंदन की खेती से किसान तगड़ी कमाई कर रहा है। हालांकि, इसकी खेती थोडी लंबी अवधि की होती है, जिसमें पौधे को तैयार होने में करीब 15 से 20 साल का समय लगता है, लेकिन एक बार पेड़ तैयार हो जाने पर, इससे अच्छी आमदनी हो सकती है। 

किसानों को दिया जाएगा खेती का प्रशिक्षण (Farmers will be given training on agriculture)

यह परियोजना भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून के अधीन प्रयागराज स्थित फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर फॉर इको-रिहैबिलिटेशन द्वारा संचालित की जाएगी। इस परियोजना की अवधि पांच साल की है, जिसमें चंदन की नर्सरी लगाने से लेकर इसकी खेती का प्रशिक्षण किसानों को दिया जाएगा। अनुसंधान केंद्र इस परियोजना के तहत हर साल लगभग 100 किसानों को चंदन की खेती का तकनीकी प्रशिक्षण देगा। बता दें कि भारत में लाल, पीला और सफेद चंदन का उत्पाद होता है। अगर किसान लाल चंदन के पौधे लगाते हैं, तो कम से कम 10 से 15 साल तक पौधों की उचित देखभाल के बाद, इसके विकसित पेड़ से लाखों रुपए कमा सकते हैं। हालांकि इनकी खेती शुरू करने से पहले आपको सरकार से लाइसेंस लेना जरूरी है। 

बाजार में चंदन के तेल और लकड़ी की भारी मांग (There is huge demand for sandalwood oil and wood in the market)

वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज के अनुसार, इस परियोजना के तहत किसानों के साथ-साथ नर्सरी तैयार करने वाले वन विभाग के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे अपने विभाग की नर्सरी में पौधे उगाने के बाद उन्हें वन क्षेत्रों में भी रोपित कर सके। इस पहल के अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण देकर ऐसे स्थानों का दौरा कराया जाएगा, जहां बड़ी मात्रा में चंदन की सफलतापूर्वक खेती की जा रही है।  खासकर यूपी के कन्नौज में इत्र का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। एक सर्वे में पाया गया है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के प्राकृतिक जंगलों में चंदन के पेड़ मौजूद हैं। चंदन को हल्दी, रतालू और अरहर जैसे पौधों के साथ उगाया जा सकता है। वहीं बाजार में चंदन के तेल और लकड़ी की भारी मांग है, जिससे किसान आने वाले समय में चंदन की खेती से करोड़पति भी बन सकते हैं। 

मुनाफे की खेती है चंदन (Sandalwood is a profitable cultivation)

चंदन के चार प्रकार होते हैं. जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन। सफेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है। सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में लाल चंदन की मांग है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मांग चीन में है, जहां इसके लिए महंगा भुगतान किया जाता है, आप इसकी खेती करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार कर सकते हैं। इसकी लकड़ी से फर्नीचर, मूर्तियां सहित कई डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं। पाउडर का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधन व शर्बत बनाने में किया जाता है। पूजा में भी चन्दन की लकड़ी का उपयोग होता है। चंदन में एंटी बैक्टेरियल गुण होते है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है।  दाग-धब्बों और मुंहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है। इतना ही नहीं, इसमें घाव को जल्दी भरने के गुण होते हैं। छोटे-मोटे घाव, खरोच पर चंदन का लेप लगाने से जल्दी राहत मिलती है। 

नर्सरी से सफेद चंदन का पौधा 100 रुपए प्रति पौधे की दर से प्राप्त कर सकते हैं। सफेद चंदन का पौधा 12 साल में पूर्ण विकसित होकर 40 फीट लंबाई का हो जाता है। 12 साल बाद इसके 1 पेड़ से 25 किलो चंदन वाली लकड़ी का उत्पादन मिल जाता है। फिलहाल, बाजार में 1 किलो सफेद चंदन का कीमत 19 हजार है, जिसमें 25 पर्सेंट शासन शुल्क भी लागू होता है। फिर भी 1 चंदन के तैयार पेड़ से 12 साल बाद करीब 4 लाख रुपए तक का शुद्ध मुनाफा किसान भाई को हो जाता है।

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