Flower farming : कृषि क्षेत्र में सिंचाई की बढ़ती दिक्कतों के चलते किसानों के सामने फसलों का उत्पादन करना बहुत ही मुश्कित और खर्चीला हो गया है। खेती-किसानी से मुनाफा तो दूर इससे किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। इस वजह से अब कई क्षेत्रों के किसान फायदे की खेती (Farming for profit) की ओर रूख करने लगे हैं। किसान गेहूं-धान जैसी पारंपरिक फसल को छोड़कर बागवानी (हॉर्टिकल्चर) के अंतर्गत आने वाली फायदेमंद वाली फसलों की खेती करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। खास बात यह है कि इस प्रकार की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है, जिनमें किसानों को अच्छी सब्सिडी के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्र तक उपलब्ध कराती है। इसी क्रम में करनाल के गांव सलारू के निवासी प्रगतिशील किसान जगतार सिंह फूलों की खेती (Flower farming) कर 2 से 3 लाख रुपए प्रति एकड़ कमा रहे हैं, जिसके चलते वे आसपास के अन्य किसानों के लिए मिसाल बनकर उभर रहे हैं। प्रगतिशील किसान को देखकर दूसरे किसान भी फूलों की खेती करने लगे हैं और कम लागत में बेहतर फायदा कमाने लगे हैं। आइए, इस खबर पर विस्तार से जानते हैं।
प्रगतिशील किसान जगतार सिंह ने बताया कि वह पिछले करीब पांच सालों से फूलों की खेती (Flower Cultivation) कर रहे हैं, इस खेती में उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है। इसके साथ-साथ फूलों की खेती एक नकदी फसल है, जिससे उन्हें हर रोज या फिर सप्ताह में 8-10 हजार रुपए मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले वे गेहूं और धान की खेती करते थे। इसमें ज्यादा पानी तो लगता था, साथ ही खर्च भी ज्यादा आता था, जिससे उन्हें कोई मुनाफा नहीं होता था। उन्होंने बताया कि पारंपरिक फसलों की खेती में अधिक सिंचाई जल खर्च होता था, पहले ही भूमि के अंदर जल का संकट पैदा हो चुका है। यदि हम सब इसी प्रकार से धान एवं गेहूं की फसलों की खेती करते रहेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को खेती लायक पानी तो दूर पेयजल भी नसीब नहीं होगा। किसान जगतार ने कृषकों से आग्रह किया कि वे बागवानी खेती (Horticultural farming) करें, जो अधिक मुनाफे वाली फसलें हैं।
महिला किसान प्रसन्न कौर ने बताया कि पहले वो गेहूं और धान की फसल लगाते थे, लेकिन उससे खर्च बड़ी मुश्किल से पूरा हो पाता था। अब वो फूलों की खेती करती हैं, जिससे उन्हें काफी लाभ मिल रहा है।उन्होंने कहा, यह नकदी फसल हैं, किसानों को चाहिए कि वे फूलों की खेती करें ओर अधिक लाभ कमाएं। वहीं, किसान जगतार बताते हैं कि गैंदे की खेती (Marigold Farming) से भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बरकरार रहती है। इस प्रकार की खेती से किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलती है। इससे किसानों को सालाना लाखों रुपये का मुनाफ़ा मिल सकता है।
किसान जगतार बताते है कि गेंदा फूल की खेती (Marigold Flower Cultivation) खाद्य फसल की तुलना में अधिक फायदेमंद है। यह किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती है। साल में दो बार इसकी खेती की जाती है, जिसमें पानी की खपत बहुत कम है। एक महीने बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है और आय हफ्तेभर बाद मिलना शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि सितम्बर के महीने में लड्डू किस्म की पौध को लगाया जा सकता है और गर्मी के मौसम में जाफरी किस्म। इसके साथ ही साइड की खाली जगहों पर धनिया, पालक सरसों या मक्का भी लगाया जा सकता है।
जगतार ने बताया कि सरकार की ओर से भी किसानों को आधुनिक खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस प्रकार की खेती के लिए अच्छी सब्सिडी के साथ-साथ आधुनिक यंत्रों को भी उपलब्ध करवाया जा रहा है, ताकि किसानों की आधुनिक खेती की राह आसान हो। वह बताते हैं कि स्थानीय ग्राहकों द्वारा 35 से 45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खेतों में ही फूल की खरीदारी कर ली जाती है। बाजार में दो सौ-ढ़ाई सौ रुपये प्रति टोकरी की दर से फूल बिक जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में करीब 15 हजार तक की लागत आती है। वे दूसरे किसानों को भी इस प्रकार की खेती को अपनाने और जीवन खुशहाल बनाने का सलाह देते हैं।
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