Seed Treatment: कृषि क्षेत्र में भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए सबसे जरूरी काम बीजोपचार है। किसानों के लिए रोग-मुक्त और गुणवत्तायुक्त उत्पादन तभी संभव है, जब वे तकनीक के साथ उन्नतशील बीज की बुवाई शोधन करने के बाद करें। क्योंकि रोग-मुक्त खाद्यान्न उत्पादन सुनिश्चित करने में बीज का विशेष महत्व होता है। ऐसे में किसान खेत में नर्सरी डालने या सीधी बुवाई के पहले कृषि रक्षा रसायन से बीजोपचार (Seed Treatment) करें। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि आधारित विशेष योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बीजोपचार हेतु कृषि रक्षा रसायनों पर सरकारी अनुदान दिया जा रहा है, ताकि वे कम लागत में अच्छी और रोगमुक्त पैदावार सुनिश्चित कर सकें।
खेत में नर्सरी लगाने या सीधी बुवाई करने से पूर्व बीजों का उपचार करने के लिए कई फायदे होते हैं। बीजोपचार से फसल में रोग बीमारी पर अधिकतम नियंत्रण हो जाता है। अगर फसल की बुवाई से पहले बीजोपचार नहीं किया जाता है, तो यह बीमारी फूल, फल व बीज बनने के समय प्रभावित होती है और अधिक से अधिक लागत लगाने के बाद भी बीमारी पर नियंत्रण नहीं हो पाता है, जिससे किसानों की फसल पैदावार कम होती है जैसे फाल्स स्मट (False smut) धान में हरदिया रोग ऐसी बीमारियों का रोकथाम केवल बीज शोध से ही संभव है।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से निर्देश दिया गया है कि शत-प्रतिशत बीजोपचार किया जाए। कृषि विभाग इसके लिए विशेष अभियान चलाकर किसानों को जागरूक कर रहा है। बीजोपचार के लिए किसानों को कृषि रक्षा रसायनों पर 75 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। कृषि विभाग द्वारा यह अनुदान राशि डीबीटी (DBT) के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में दी जा रही है।
कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के अनुसार, खरीफ फसल में धान, मक्का, मूंगफली, अरहर, उड़द और मूंग जैसी फसलों की बुवाई के पहले 2.5 ग्राम थीरम 75 प्रतिशत या 3 ग्राम कार्बेडाजिम 50 प्रतिशत प्रति किलोग्राम बीज के दर से शोधित करें। धान की फसल में जीवाणु झुलसा नियंत्रण के लिए 25 ग्राम बीज 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन के घोल में भिगोकर छाया से सुखाकर खेत में नर्सरी डालें।
इसके अलावा, धान में फाल्स स्मट रोग के लिए बीज शोधन के साथ जैविक पेस्टिसाइड ट्राइकोडरमा या बेबेरियाबैस्सियाना 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 65 से 70 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर भूमि शोधन भी करना चाहिए। किसान भाई किसी भी रोग बीमारी या कीट प्रकोप होने की परिस्थिति में स्थानीय क्षेत्रीय कर्मचारियों अधिकारियों से संपर्क कर समाधान कराएं।
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