Early varieties of ladyfinger and cucumber : जनवरी का महीना चल रहा है। इस दौरान देश के अधिकतर राज्यों में बारिश, शीतलहर और घना कोहरा रहने की गतिविधियां देखी जा रही है। बढ़ती ठंड और अनुकूल मौसम की स्थिति के चलते रबी की मुख्य फसल गेहूं की वानस्पतिक वृद्धि और टिलरिंग काफी अच्छी है। लेकिन, रात्रि के समय पारा गिरने से पाला गिरने से किसानों की फसलें प्रभावित होती है। जनवरी में इस सर्द मौसम का असर फसलों पर खूब देखा जाता है और ज्यादातर फसलें इन दिनों पाले की चपेट से नष्ट हो जाती हैं। हालांकि, कुछ ऐसी भी फसलें हैं, जिन्हें इस कड़ाके की ठंड के बीच जनवरी के महीने में उगाया भी जाता है। हम बात कर रहे हैं सब्जी फसल भिंडी और खीरा की। इन दोनों फसलों की कुछ ऐसी किस्में है, जिनकी बुवाई जनवरी और फरवरी में अगेती खेती के लिए की जा सकती है। साथ ही कम समय में इनके बंपर उत्पादन से अच्छा-खास मुनाफा भी कमाया जा सकता है।
कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार (बाराबंकी) बताते है कि जिले में भिंडी और खीरा की खेती किसान बड़े स्तर पर करते हैं। किसान अगर जनवरी और फरवरी महीने में इन फसलों की अगेती खेती करना चाहते हैं, तो वे इसकी कुछ उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। इन अगेती किस्मों की खेती कर मोटी कमाई की जा सकती है।
खीरे की अगेती खेती लगाने के लिए किसान खीरे की हाइब्रिड किस्म (Hybrid varieties of cucumbers), पूसा संयोग किस्म (Pusa Sanyog Variety) की बुवाई कर सकते हैं। इस किस्म के फल लगभग 22 से 30 सेंटीमीटर लंबे होते हैं, जो हरे रंग के बेलनाकार आकार के दिखाई देते हैं। इन पर पीले कांटे भी पाए जाते हैं। इस किस्म के खीरे का गूदा कुरकुरा होता है। यह किस्म लगभग 50 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक हो सकती है।
बाराबंकी कृषि विभाग के कृषि उपनिदेशक बताते हैं कि मैदानी क्षेत्रों के किसान पंत संकर खीरा 1 व स्वर्ण अगेती खीरा किस्म की बुवाई कर सकते हैं। इन किस्मों की खेती के लिए यह समय उपयुक्त है। खास बात यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी इन खीरा किस्मों की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। पंत संकर खीरा 1 किस्म के फलों का आकार करीब 20 सेंटीमीटर लंबा (मध्यम साइज) होता है। यह किस्म बुवाई के करीब 50 दिनों बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती से प्रति एकड़ 120 से 140 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। वहीं स्वर्ण अगेती किस्म के फल मध्यम आकार के, जो हल्के हरे रंग के होते हैं, बुवाई के 40 से 50 दिनों बाद इस किस्म के फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। इस खीरा किस्म के हर पौधे पर करीब 10 से 15 फल लगते हैं। इस किस्म की खेती से प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक खीरे का उत्पादन लिया जा सकता है।
कृषि उपनिदेशक बताते हैं कि जनवरी में भिंडी की अगेती खेती लगाना किसान भाईयों के लिए बेहतरीन साबित हो सकता है। अगेती भिंडी की खेती से न केवल अच्छा उत्पादन मिलेगा, बल्कि इसके बाजार में भाव भी अच्छे मिलेंगे। साथ इस दौरान इसकी मांग भी अधिक रहती है। अगर किसान अगेती भिंडी की खेती करना चाहते हैं, तो वे परभनी क्रांति भिंडी की किस्म की बुवाई कर सकते हैं। यह किस्म पीत-रोग का मुकाबला करने में सक्षम है। बुवाई के करीब 50 से 55 दिन बाद यह फल देने के लिए तैयार हो जाती है। अगेती भिंडी की इस किस्म के फल गहरे हरे रंग के होते हैं और 15 से 18 सेंमी भिंडी की लंबाई होती है। अर्का अनामिका किस्म की भिंडी के पौधे की लंबाई 120 से 150 सेंमी तक होती हैं। इस भिंडी किस्म के फल काफी मुलायम होते है, भिंडी फल 5 से 6 धारियों वाली होती है। भिंडी का डंठल लंबा होने से इसकी तुड़ाई करने में आसानी होती है। अर्का अनामिका भिंडी किस्म खरीफ और रबी दोनों सीजन में खेती के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पीत रोग यानी येलोवेन मोजेक वायरस रोग प्रतिरोधी है, जिसके कारण इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर 12 से 15 टन उपज आसानी से मिल सकती हैं।
सर्दियों के मौसम में उगाई जाने वाली भिंडी फसल की मार्केट में अच्छी कीमत मिलती है, क्योंकि मटर, गोभी सहित अन्य सब्जियों का ट्रेंड जनवरी अंत तक खत्म हो जाता है और भिंडी की मांग शुरू हो जाती है। इसलिए किसान भाई अगेती भिंडी खेती के लिए पूसा ए-4 भिंडी किस्म बुवाई कर सकते हैं। यह पितरोग येलोवेन मोजोइक होती हैं। बुवाई होने के 45 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर होती है। पूसा भिंडी 5 भिंडी की पीली नाड़ीमोजैक विषाणु रोग प्रतिरोधी किस्म हैं। इसकी औसत पैदावार 18 टन प्रति हेक्टेयर होती है। वर्षा उपहार यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी है। यह किस्म रबी और खरीफ दोनों ऋतुओं में खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी औसत पैदावार 9 से 10 टन प्रति हेक्टयर होती है। परभणी क्रांति यह किस्म पितरोधी है। इस किस्म से पैदावार बुवाई के 50 दिन पश्चात मिलना आरंभ हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 9 से 12 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास होती है। इन किस्मों की बुवाई किसान जनवरी मध्य और फरवरी अंत तक कर सकते हैं। वैसे भिंडी की खेती का उपयुक्त समय फरवरी से मार्च महीना है। अगर इसकी फसल लगातार लेनी है, तो तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुवाई की जा सकती है।
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