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अप्रैल महीने में करें 5 प्रकार की सब्जियों की खेती, 50 से 60 दिनों में होगी मोटी कमाई

अप्रैल महीने में करें 5 प्रकार की सब्जियों की खेती, 50 से 60 दिनों में होगी मोटी कमाई
पोस्ट -24 मार्च 2023 शेयर पोस्ट

अच्छी कमाई के लिए अप्रैल में करें इन सब्जी फसलों की बुवाई, जानें पूरी जानकारी

सब्जी की खेती : देश के अलग-अलग हिस्सों में अभी रबी फसलों की कटाई का दौरा जारी है। रबी की फसल में गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों की कटाई की जाती है। रबी फसल में सबसे अधिक क्षेत्रों में गेहूं की कटाई होती है, क्योंकि यह मुख्य अनाज फसल है और पूरे देश में मुख्य रूप से उगाया जाता है। बता दें कि रबी फसलों की कटाई फरवरी महीने के अंत से शुरू हो जाती है और अप्रैल के मध्य तक चलती है, जिसके पश्चात फसल को अच्छे से सूखने के लिए धूप में छोड़ दिया जाता है। फसल के सूखने के बाद मुड़ाई कर बाजार में बेचने के लिए ले जाया जाता है। इसके पश्चात खरीफ की फसल में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली और सोयाबीन इत्यादि की बुवाई जून-जुलाई के महीने में मानसून के दौरान की जाती है। इस बीच किसानों के खेत खाली होते हैं। ऐसे में किसान अपने इन खाली खेतों में अप्रैल में बोई जाने वाली विभिन्न सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि अप्रैल में गर्मी बढ़ने लगती है और कई सब्जियों का सीजन पूरा होने से इन दिनों  बाजार से कई सब्जियों की आवक कम हो जाती है। इसके कारण इन दिनों बाजार में सब्जियों की मांग काफी ज्यादा हो जाती है। इसे देखते हुए किसान अप्रैल में विभिन्न सब्जियों की खेती कर 50 से 60 दिनों में कम लागत खर्च पर नकदी कमाई कर सकते हैं। अप्रैल में आप जिन सब्जी फसलों की खेती कर सकते हैं, उन फसलों के बारे में विस्तृत जानकारी हम इस पोस्ट माध्यम से देने जा रहे हैं। गर्मियों के महीने में अपने खाली खेतों में इन विभिन्न सब्जियों को लगाने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। 

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पालक 

अप्रैल में गर्मी बढ़ने लगती है यानी इस महीने से गर्मियों का मौसम पूर्ण रूप से आरंभ हो जाता है। इस दौरान स्थानीय बाजारों में हरे पत्तेदार सब्जियों की आवक में कमी हो जाती है। ऐसे में किसान भाई पालक की बुवाई खेतों में कर सकते हैं। हरी सब्जियों में पालक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसके कारण इसकी मांग बाजारों में लगातार पूरे साल बनी रहती हैं। आमतौर पर पालक की खेती सर्दियों के मौसम में होती है। किंतु इसकी खेती अलग-अलग महीनों में कर के पूरे साल लाभ कमाया जा सकता है। गर्मियों के मौसम में इसकी खेती फरवरी से अप्रैल के दौरान की जा सकती है। सिंचित सिंचाई क्षेत्र में पालक की खेती से 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है, जिसे बाजार में 25 से 30 रूपए प्रति किलो के भाव में बचा जा सकता है। पालक की खेती एक ऐसी खेती है, जो कम समय मे लाभ देती है और बार-बार देती है। क्योंकि पालक की कटाई 10 से 15 दिनों के अंतराल में 5 से 6 बार की जा सकती है। 

धनिया की बुवाई का समय 

भारत में धनिया की खेती दाने के उद्देश्य से की जाती है, क्योंकि इसके दाने का उपयोग मसालों में किया जाता है। इसकी हरी पत्तियां का इस्तेमाल सब्ज्यिों को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने में किया जाता हैं। इसकी खेती सर्दियों में अक्टूबर से दिसंबर के महीने में की जाती है। इसका पौधा शीतोष्ण जलवायु वाला होता है, जिससे कारण इसकी खेती शुष्क और ठंडी जलवायु में की जाती है। धनिया की खेती के लिए उचित जलनिकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी वाली भूमि को उपयुक्त माना गया है। गर्मियों के मौसम में धनिया की आवक बाजार में घट जाती है, जिसके कारण इसकी मांग काफी बढ़ जाती है। इस दौरान आप अप्रैल में इसकी खेती लगाकर कुछ दिनों के बाद अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। 

भिंडी 

भिंडी गर्मियों की मुख्य सब्जी है। इसकी खेती उष्ण तथा शुष्क दोनों मौसम में आसानी से की जा सकती है। भिंडी की खेती के लिए तेज और नमी वाली जलवायु की आवश्यकता होती  है। भिंडी पैदावार सर्दी की जगह गर्मी के मौसम में अच्छी होती है। गर्मियों के मौसम में इसकी बाजारों में भारी मांग होती है, जिसके कारण इसके दाम काफी अच्छे मिलते हैं। यदि किसान भाई अच्छे और हाईब्रीड बीज से भिंडी की अगेती किस्मों की खेती करता है, तो इसकी अच्छी पैदावार होती है और लाभ भी अधिक होता है। इसकी अगेती खेती करने के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। भिंडी की फसल के लिए 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इसके पौधों को विकसित होने के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। भिंडी की बुवाई फरवरी, मार्च और अप्रैल के पहले सप्ताह में कर सकते हैं। 

बैंगन

बैंगन की खेती भारत में प्राचीन काल से होती आ रही है। बैंगन को ऊंचे इलाकों को छोड़कर पूरे भारत में सफलता पूर्वक कही भी उगाया जा सकता है। बैंगन को गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। बैंगन की वर्षा कालीन फसल के लिए अप्रैल महीने में बुवाई की जाती है। प्रति हेक्टेयर में बैंगन की बिजाई के लिए सामान्य किस्मों की लगभग 250-300 ग्रा. और संकर किस्मों का 200 से 250 ग्रा, बीज की आवयश्कता होती हैं। बैंगन को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मी के मौसम में बैंगन की सिंचाई  3 से 4 दिन बाद करनी होती है। आने वाले दिनों में बाजारों में बैंगन के काफी अच्छे दाम मिलेंगे। इसी को देखते हुए किसान भाई वर्षाकालीन बैंगन की बुवाई अभी शुरू कर सकते हैं। बैंगन की खेती गहरी दोमट अच्छी जल निकासी वाली जीवांश युक्त भूमि पर ही करें। 

लौकी 

लौकी (घीया) यह हर सीजन में मिलने वाली एक कददूवर्गीय सब्जी है। यह गोल और लंबे आकार में होती है। इस कद्दूवर्गीय सब्जी की खेती किसान भाई साल में तीन बार कर सकते हैं। गर्मियों के दिनों में इस सब्जी की बाजार में मांग काफी बढ़ जाती है। क्योंकि इसका उपयोग सब्जी के अलावा रायता और हलवा बनाने में किया जाता है। बाजार में इसकी हर समय मांग को देखते हुए किसान भाई इसकी बुवाई अप्रैल में कर सकते हैं। इसकी खेती से कम लागत खर्च पर अधिक लाभ कमा सकते हैं। बता दें कि जायद के लिए इसकी बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ के लिए मध्य जून से प्रथम जुलाई और रबी के लिए सितम्बर अन्त और प्रथम अक्टूबर तक की जाती है। 

तोरई 

ग्रीष्मकालीन तोरई की बुवाई किसान भाई अप्रैल महीने में कर सकते हैं। तोरई की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थों से युक्त उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में इसके पौधे अच्छे से वृद्धि करते हैं। इसका पौधा सामान्य तापमान में अच्छे से अंकुरित होते हैं और अधिकतम 40 डिग्री के तापमान सहन कर सकता है। गर्मियों में ज्यादातर लोग तोरई खाना पसंद करते हैं। ऐसे में इसकी खेती से होने वाली पैदावार किसान भाईयों को मार्केट में काफी अच्छे दाम दिला सकती है। 

टमाटर

टमाटर की फसल किसानों के लिए नियमित आय का एक बेहतर जरिया है। संपूर्ण भारत में टमाटर को किसी भी मौसम में सफलतापूर्वक लगाया जा सकता है। टमाटर का उपयोग सब्जियों के अलावा सलाद में भी किया जाता है। व्यापरिक स्तर पर टमाटर सास (केचप), प्यूरी, जूस, सूप, अचार इत्यादि में टमाटर का उपयोग किया जाता है। अगर इसकी खेती किसान गर्मियों के मौसम में करते है, तो इससे खूब पैसा भी कमा सकते हैं। टमाटर की बुवाई मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में की जाती है। इसकी अगेती और हाईब्रीड किस्मों की बुवाई किसान भाई अभी शुरू कर सकते हैं।  

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