Black marketing and hoarding of fertilizers, seeds and manure : किसान फसल उत्पादन के लिए प्रमाणित बीज, यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद उर्वरकों का उपयोग करते हैं, ये सभी कृषि इनपुट फसल पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन सभी घटकों का बेहतर लाभ तभी संभव हो पाता है, जब ये असली और गुणवत्तायुक्त हो और किसानों को समय से खेती के लिए मिल सके। इस बीच राजस्थान कृषि विभाग द्वारा खरीफ मौसम से पहले विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाया गया है, जिसकी शुरूआत 15 मई 2025 से हो चुकी है और यह राज्य में 10 जुलाई 2025 तक चलेगा। राज्य कृषि विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस विशेष अभियान का उद्देश्य है कि किसानों को निर्धारित दरों पर गुणवत्ता युक्त खाद, बीज एवं उर्वरक समय पर मिले और इनकी कालाबाजारी, जमाखोरी पर रोक लगाई जा सके।
राजस्थान कृषि के उद्यान विभाग के आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने इस पर जानकारी देते हुए बताया कि “विशेष गुण नियंत्रण अभियान” (Special Quality Control Campaign) के तहत कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा खाद, बीज एवं कीटनाशक निर्माताओं व विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों (वाणिज्यिक स्थल) का निरीक्षण कर प्रभावी कार्यवाही की जायेगी। निरीक्षण के दौरान आदान विक्रेताओं और विनिर्माताओं के अनियमितता पाए जाने पर कृषि आदानों से संबंधित नियमों, अधिनियमों, उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत विक्रय पर रोक, जब्ती, लाइसेंस निलम्बन या निरस्तीकरण जैसी कार्यवाही की जायेगी।
कृषि आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने जिले में सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उनके क्षेत्र में अमानक, नकली डीएपी एवं अन्य उर्वरक तैयार करना या पैक करना पाया जाता है, तो विभागीय अधिकारी उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। अधिकारी औद्योगिक क्षेत्रों, फार्म हाऊसों व ढाणियों में जहां भी इस प्रकार की घटनाओं की संभावना हो, वहां पर कड़ी निगरानी रखें और दोषी पाए जाने पर आवश्यक कार्यवाही करें। बता दें कि कई बार खाद-बीज विक्रेता द्वारा किसानों को नकली या मिलावटी खाद- उर्वरक दे दिए जाते हैं, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
बता दें कि सभी किसानों को असली और नकली खाद-उर्वरकों की पहचान करना आना चाहिए। कुछ आसान तरीके अपनाकर किसान असली उर्वरकों की पहचान कर सकते हैं। नकली उर्वरकों की पहचान करने के तरीके निम्न प्रकार हैं :-
यूरिया : किसान यूरिया की पहचान इसके सफेद और चमकदार गोल आकार के दाने से कर सकते है, ये दाने पानी में घुलनशील होता है और इस घोल को छूने पर ठण्डा महसूस होता है। इसके अलावा, यूरिया खाद के कुछ दाने हथेली पर रखकर और मुट्ठी बंद कर फूंक मारने से दाने हल्का गीला हो जाता है। खुले में रखने पर ये वातावरण की नमी अवशोषित कर गीला हो जाता है तथा गरम तवे पर डालने से यह पिघल जाता है। तेज आंच करने पर इससे अमोनिया की तीक्ष्ण गंध आती है। यूरिया को तवे पर तेज आंच पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यूरिया असली है।
डीएपी : डीएपी खाद कठोर दानेदार, भूरा, काला या बादामी कलर का होता है, यह नाखूनों से तोड़ने पर आसानी से नहीं टूटता है। यूरिया की भांति डीएपी भी मुट्ठी में भरकर फूंक मारने पर हल्का गीला हो जाता है। डीएपी के दानों में चूना मिलाकर हाथ से रगड़ने पर तीक्ष्ण गंध आती है। अगर डी.ए.पी. के कुछ दाने तवे पर धीमी आंच पर गर्म करें और इसके दाने फूल जाएं तो समझ लेना की यह असली डी.ए.पी. उर्वरक है।
सुपर फास्फेट : सुपर फास्फेट भूरा, काला या बादामी रंग का होता है, लेकिन डीएपी के विपरीत इसके दाने नरम होते है और नाखूनों से तोड़ने पर आसानी से टूट जाते हैं। तवे पर सुपर फास्फेट के दाने गरम करने पर यथावत बने रहते हैं, डीएपी की तरह फूलते नहीं हैं। सुपर फास्फेट भूरे मटमैले रंग के पाउडर रूप में भी होता है। इसे खुले में रखने पर वातावरण की नमी अवशोषित कर गीला हो जाता है। इसके कुछ दानों को गर्म करें अगर ये नहीं फूलते है तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है।
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